Megha   (सुनहरी कलम)
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Joined 16 June 2019


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14 AUG AT 21:48

बेज़ुबानों की आज़ादी छीन कर
कुछ लोग अपनी आज़ादी मनाएंगे!
ये इंसान बड़े ख़तरनाक जानवर हैं साहब
मन से इंसानियत मार के खुद को इंसान बताएंगे!

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1 AUG AT 7:07

पूरा लिखूँ या अधूरा लिखूँ...
रात में बैठे हुए तुझे सवेरा लिखूँ...
जब लिखूँ, बस इतना ही लिखूँ...
तुझे मेरा, मुझे तेरा लिखूँ...

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1 AUG AT 7:01

मेरे दिल में तेरे सिवा कौन समा सकता है...
यह रूह भी गिरवी रख दी है तेरी चाहत में...

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19 JUL AT 7:25

जो औलाद माँ-बाप पे जान लुटाती है,
अक्सर वही सबसे ज़्यादा ठुकराई जाती है।

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17 JUL AT 23:15

हम वो हैं जनाब जो कभी खुद्दारी की हदें नहीं लांघते...
भीख तो छोड़िए, हम तो अपना हक़ तक नहीं मांगते...

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17 JUL AT 23:11

प्रेम मैं और तरीक़े से भी जता लूँगी...
तुम्हें कामयाब बनाना मेरा पहला सपना है...

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9 JUL AT 20:43

बाप के जूते पहन लेने से बेटा बड़ा नहीं हो जाता है..
बाप के फटे जूते की इज्जत करने से बेटा बड़ा कहलाता है..

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1 JUL AT 10:57

ज़रा-ज़रा सी बात को दिल पर लगा लेती हूँ,
तुम मुझे गले लगा लोगे क्या?
जब पूरे दिन के काम से थक जाती हूँ,
तुम प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेर दोगे क्या?
सबका ख्याल रखते-रखते अपनी तबियत भूल जाती हूँ,
तुम मेरा ध्यान रख लोगे क्या?
समझदार नहीं बनना चाहती हूँ,
तुम मेरी नादानियाँ झेल लोगे क्या?
अपने अंदर बचपना क़ैद किए बैठी हूँ,
उस बच्चे को संभाल लोगे क्या?
मैं ऐसी ही झल्ली सी हूँ,
जैसी भी हूँ, तुम मुझे अपना लोगे क्या?

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27 JUN AT 20:04

तोड़ के दिल मेरा मुझे क्या ही हैरान करोगे
रहते तो तुम ही हो ना, खुद का घर ही वीरान करोगे।

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27 JUN AT 19:31

मेरी बर्बादी का कोई गवाह नहीं है..
तो लोगों को लगता है कि हम तबाह नहीं हैं..
मुस्कराता ही इतना हूँ क्योंकि..
रोने के लिए कोई जगह ही नहीं है..

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