अजी रूठोंना यू आज हमसे, जान हो आप हमारी तुम हो तो सारी ख़ुशियाँ है, जो ना हो तो रूठी मंज़िलें सारी तमन्नाह सिर्फ़ अब यही है, एक मैं और एक तू, बस इतनीसी हो ये दुनिया हमारी
ऐसे ही खोया-खोया रहता हूँ अक्सर, अब तो आदतसी पड़ चुकी है इस चकाचौंद भरी ज़िंदगी की हमे लत कहाँ… अब तो चुप्पीही जैसे मानो सहेली बन चुकी है, बदलते जीवन के बदलते रिश्तोंसे हूँ सेहमत कहाँ !!
कैसे घने है ये बादल, देखो हमारी यादोंके आज तो तुम्हें आनाही होगा, हस्ते-गाते यूही मुस्कुराते, मेरे संग गानाही होगा, अगर ना आओगी मेरे बुलानेपर, तो रूठ जाऊँगा मैं तुमसे उम्रभर, और गर ऐसा कुछ हो जाए कभी तो तुम्हें पछतानाही होगा !!
कैसे बताऊँ तुम्हें के तुम मेरेलिये कितनी जरुरी हो, तुम मेरे हर साँस मैं घुली हो, हर अरमानों में पली हो मेरा दिल बस इतना चाहता है की हर वक्त तुम महफूज रहो, और तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी हो…
इतकी कशी गं सुंदर तू गोष्ट ही सांग मज आज खरी गुपीत तूझ्या ह्या सौंदर्याचे, कळूदेना मज आज तरी नयनी तूझ्या मज चंद्र दिसे ओठांवर सदैव एक हसू असे शृंगार तुझा हा असा निहाळता, का हे मन न व्हावे वेडेपिसे…
जो उम्रभर ना मिले, उसे उम्रभर चाहना भी इश्क है अपने दिल के ख़्वाबो को, उसेके सामने जताना भी इश्क है देखके उसके होठों की हसी, खुद मुस्कुराना भी इश्क है और सारी उम्र उसके खयालों में रेहेके, ज़िंदगी बिताना भी इश्क है…