Meetu Jethwani  
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Joined 25 April 2017


Joined 25 April 2017
30 JUL 2022 AT 14:49

व्यक्ति को अगर उसके गलत कर्मों की सजा
उसी वक्त मिल जाए तो उसे पता रहेगा कि,
उसे कौन से कर्म की सजा मिल रही है
और वो दुबारा गलत कर्म करने से पहले दस बार सोचेगा और गलत कर्म करने से बच सकता है
क्योंकि जब उसके जीवन में दुःख और तकलीफ़ आती है ,उसके पाप कर्मों की सजा भुगतने का समय आता है ,
तो वो यही कहता है कि,
मैंने न जाने कौनसे कर्म किए हैं,
जिसकी मुझे ये सजा मिल रही है ???

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27 JUN 2022 AT 12:07

दुनिया ने चाहे हमारे साथ कितना भी
अन्याय किया हो, हमें सताया हो बदनाम किया हो,
लेकिन हे "सतगुरु परमात्मा"
आपने हमेशा हमारे साथ
न्याय ही किया है।
और हमेशा आपका आशीर्वाद
और कृपा हमारे सर पर रही है।
-जीवन का सत्य

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1 AUG 2021 AT 10:39

झूठ के तो बहुत सहारे होते हैं
लेकिन सत्य का सिर्फ
एक ही सहारा होता है
"परमात्मा और
उसके ऊपर विश्वास"
-जीवन का सत्य

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29 JUL 2021 AT 22:47


अक्सर हमें वही लोग
रिश्ते निभाने के उपदेश देते हैं
जिन्होंने खुद रिश्तों के नाम पर
छल कपट और धोखा किया हो
-जीवन का सत्य

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14 JUL 2021 AT 11:02

रावण के तो सिर्फ
10 मस्तक ही थे।
लेकिन इंसान तो हर पल
हर एक रिश्ते के साथ
अपना चेहरा बदलता है
-जीवन का सत्य

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9 JUL 2021 AT 21:53

अगर इंसान अच्छे समय में
सोना खरीद सकता है,
तो बुरे समय में उसे बेचकर अपना
जीवन निर्वाह भी कर सकता है।
क्योंकि सोना बुरे समय में
काम आने वाला धन है।

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24 JUN 2021 AT 22:44

सीख उस दवाई की तरह होती है,
जो हमेशा हमें कड़वी लगती है।

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13 JUN 2021 AT 12:54

कहते हैं,
जब व्यक्ति के पाप का घड़ा भरता है
तब उसको उसके पाप कर्मों
की सजा मिलती है।
लेकिन तब तक वो व्यक्ति
न जाने कितने लोगों का
जीवन और खुशियाँ बर्बाद
या खत्म कर देता है।

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4 JUN 2021 AT 20:46

मां बाप एक कमरे में भी अपने
8- 10 बच्चों को गले से लगाकर
और बहुत प्रेम से रखते हैं।
लेकिन आज उन्ही बच्चों के
बड़े-बड़े घरो में मां-बाप के
रहने के लिए एक कमरा
तक नहीं है😢

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28 MAR 2021 AT 18:46

"होली"बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय,
भगवान के भक्त और भक्ति की
विजय का त्योहार है।
"प्रहलाद" की तरह भक्ति करने की बजाय,
जिस होलिका ने उसे मारने
और जलाने की कोशिश की,
जो कि एक दैत्य(राक्षसनी) थी।
हम उस होलिका को ही अपनी माता बना बैठे हैं
और उसकी पूजा करते हैं।
तो जिसको माता बनाकर पूजा करोगे ऐसे ही बनोगे।
हम सिर्फ क्रियाएँ करना जानते हैं,उसके पीछे का तत्व बोध क्या है, वो जानना ही नहीं चाहते।

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