कास ऐसा हो जाता
मैं तेरी और तू मेरा हो जाता-
पच्चीस साल का साथ आज यही छुट गया
अपना था जो घर मेरा आज पराया होगया
याद आती है मा तेरी बोहूत
अपने दिल का हाल कैसे बताऊं
आना है मुझे तेरे पास
तू ही बता में कैसे आऊ
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रो भी ना सकते
ना हस सकते है
दिल की कुछ बात है ऐसी
ना किसिसे कह सकते है
कहने को तो लाखों बातें है
पर जुबा से ना बयां कर पाते है
आरजू तो तुम्हे पाने की है
पर चाह के भी अब तुम्हे पा नहीं सकते है
तुम्हे देखने की, तुमसे मिलने की
आखरी उम्मीद भी अब मर सी गई है
प्यार में मिलता है बस दर्द
अब इस बात पे यकीन सा होने लगा है-
गलती नहीं तुम्हारी
बस नसीब में नहीं हम तुम्हारे
कोशिश कर ली सारी
बस मिल ना पाए ये दो दिल हमारे-
खयालों में बस हमारी यादें मिलेगी
हम नहीं
सामने है हम तुम्हारे तो हमे देखलो
हमारी तस्वीर नहीं-
अगर तुम लौट आते
बिना कहे में
फिरसे तुम्हे अपना लेती
पूछती ना तुमसे एक सवाल
बस गले से तुम्हे लगा लेती
फिर कहना चाहो तुम कुछ
तो गौर से में सुन लेती
प्यार है तुमसे तो
इतना भरोसा में भी कर लेती
फिर छोड़ जाने का मौका
मैं तुम्हे और ना देती-
मुझे इश्क़ नहीं तुमसे
मुझे इश्क़ नहीं तुमसे...।
पर कुछ तो खासियत है तुमने
जो मेरा दिल तेरी और बड़ता चला गया-