Meera Sharma   (Meera_@)
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Joined 9 February 2019


Joined 9 February 2019
22 NOV 2021 AT 13:34

नफरतें बहुत है इस जहां में ,
बस एक राहत #तुम हो।

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18 OCT 2021 AT 12:54

मोहब्बत बेमिसाल होती है,
गर चाहने वाला बेशुमार इज्जत करें।

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17 OCT 2021 AT 14:49

कभी कभी खुद की बहुत याद आती है।

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19 SEP 2021 AT 10:55

Emotions are never hard to pen down.

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19 SEP 2021 AT 10:49

बस इतनी सी बात पर मुंह फुला बैठी है आंखे,
कि उन्होंने इंतजार किया, और कोई उनसे मिला भी नहीं।

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4 JUL 2021 AT 19:19

रो कर खुद ही चुप हो जाती हूं,
कि कोई चुप कराने नही आएगा।

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22 DEC 2020 AT 22:16

बेशक तुम गणित सा प्रेम करना,
पर प्रेम में गणित ना करना।
लगा देना चक्रवर्ती ब्याज,
पर लाभ हानि ना करना।
जब आकलन करना हो,
प्रेम भरे हृदय पटल के क्षेत्रफल का,
तब अनगिनत तारों से आंखें चार करना।
बेशक तुम गणित सा प्रेम करना,
पर प्रेम में गणित ना करना।

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17 DEC 2020 AT 11:20

अनकहा कहने की जरूरत नहीं पड़ती,
जब कलम मेरे जज्बातों को
जुबां से कागज़ पर उतार देती है।

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31 JUL 2020 AT 22:43

वो चुप सी लगाए बैठी है,
ना जाने किस उधेड़बुन में।
वो कटी पतंग तो नहीं ,
उसका मांझा लिपटा है, घीरनी से।

वो कहती है पर,
गले तक आकर रह जाता है कुछ
वो बीन म्यान तो नहीं,
तेज है तलवार, धार से।

वो ताक रही है एकटक,
किसी अपने को।
वो बेराह तो नहीं,
राहें भी आबाद है, हमराह से।

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26 JUL 2020 AT 15:24

वह लड़ता है, मैं झगड़ती हूं।
टक्कर काटें की होती है।
वो मनाता है, में रूठ जाती हूं
दिलकश नज़ारे सी होती है।
वो वक्त काटता है, मै गुजारती हूं,
कहासुनी खत्म हो जाती है।
वो प्यार से कहता है, मैं चुप रह जाती हूं
कह देने से "चुप्पी" भला कब कम होती है।

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