मैं गिरती हूँ कई दफा
वो हर दफा संभाल लेते हैं,
डूबती को तिनका बन
वो अक्सर निकाल लेते हैं।
चाह जन्नत की रखती थी मैं
उन्होंने ये दुनिया जन्नत बना दी,
आसमां की हर खुशी
मेरी आँखों में बसा दी।
कभी खुदको तो कभी
मुझको खुद में ढाल लेते हैं,
डूबती को सहारा बन
अक्सर वो निकाल लेते हैं।
बेशक गमों की कतार
राह रोके खड़ी हो,
मुसीबत को साथ ले
किस्मत जिद पर अड़ी हो,
हालात चाहे जैसे हो
वो संभाल लेते हैं,
डूबती को तिनका बन
वो अक्सर निकाल लेते है।
-