Meera Rajput   (Jogan)
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Joined 19 May 2020


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Joined 19 May 2020
31 AUG AT 23:23

The name "Radha" is celebrated as a symbol of love, yet its power lies in a deeper truth. When you reverse the word Dhara, meaning "a flowing stream" or "a common way," you get "Radha". This reveals that Radha's love isn't about following the well-trodden path. It is about a radical, individual journey—a defiance of norms to create her own unique way. She is the embodiment of a love that is independent and unapologetically her own.

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9 AUG AT 23:12

वो पितृहीन है फिर भी पिता की तरह प्रेम करता है।
वो गुणहीन है परन्तु संसार का हर गुण उसी से है।
उदासीन होकर भी वो करुणा का सागर है।
वो कर्पूर गौर होकर भी अभ्यंकर है।
वो अमंगल है पर उसके बिना कोई मंगल संभव नहीं,
उससे प्रकृति है जिसके बिना जीवन संभव नहीं।
वो न होकर भी है और होकर भी है ओझल
गले में विष है उसके और शीश पर बहता है गंगाजल
विनाशक होकर भी वो सृष्टि की नींव है,
जिसकी दया से श्वास लेता हर जीव है
वो अनादि और अन्नत एकमात्र शिव है।।

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9 AUG AT 22:39

सप्तऋषि – क्यों इतना कठोर तप, आखिरी क्या ब्रह्मांड चाहती हो??
पार्वती – नहीं, स्वयं ब्रह्मांड रचयिता।
ओह! तो तुम शिव को पाना चाहती हो??
नहीं! मैं शिव की होना चाहती हूँ।
सप्तऋषि (मुस्कुराकर) – शिव का होना शिव को पाने से कहीं ज्यादा कठिन है। सहस्त्र शुभकामनाएं 🙏🙏

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4 AUG AT 22:42

finally you realised that
''Shiv is everything and
Everything is shiv''

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18 JUL AT 22:49

शिव वो है जो सोने से
पहले स्मरण होता है,
शिव वो है जो उठने के
बाद साथ होता है,
हर कर्म का निष्कर्ष शिव है,
मेरी व्यक्तित्व का उत्कर्ष शिव है
शिव कण– कण में है,
शिव क्षण– क्षण में है
जब द्वंद हो अधर्म धर्म का
शिव मानवता के रण में है
काल भी नतमस्तक है
अगर शिव जीवन में है।।

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15 JUL AT 23:02

सोचा था मिट गए होंगे सब निशां मेरे कदमों के
जो तेरी राहों में रह गए थे मेरे लौटने के बाद
पर एक अर्से बाद देखा तो देखा कि
इस बरसात ने उनमें जिंदगी डाल दी।।

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10 JUL AT 23:46

हवा के विपरीत बहता ध्वज बताता है,
अगर भगवान साथ हैं तो हम
विषम परिस्थितियों में भी
शान से लहरा सकते हैं ।।

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6 JUL AT 23:30

दाता मैंने शिव सा नहीं देखा
जिन्होंने रावण के मात्र मांगने भर से
उसे सोने की लंका दे दी और
खुद पर्वतों पर रहने लगे।
परोपकारी भी शिव जैसा कोई नहीं है,
जिन्होंने दूसरों के लिए हलाहल पीने
से पहले एक बार भी नहीं सोचा।
प्रेमी भी कोई शिव सा न होगा दुनिया में,
जिन्होंने सती से पहले और सती के बाद
भी बस सती का होना ही स्वीकारा।
कुल मिलाकर शिव ही एकमात्र
परिपूर्ण पुरुष हैं तीनों लोकों में,
शिव सत्य भी हैं और सुंदर भी।।

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26 JUN AT 22:20

सुनो! ज्यादा हक मत जमाओ।
तुम मेहमान हो मालिक नहीं..
बिल्कुल उन्हीं की तरह जो
तुमसे पहले हक जमाते थे,
लेकिन, थे वो भी सिर्फ मेहमान।।

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25 JUN AT 22:08

दुश्मन की वास्तविक मात
बदले की भावना से नहीं,
बदलने के भाव से होती है।।

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