कायनात की सारी खुशियां आपके कदमों में बिखर जाएं हो ख्वाहिश जिस भी चीज की,आप हर उस चीज को पा जाएं सवारें अपने व्यक्तित्व को,आप हर रोज़ इस कदर हर वर्ष जन्मदिन पर खुद को और भी बेहतर पाएं
जब इश्क़ लिखूं तो उसकी बातें लिखूं? महसूस जो दिल ने किए वो सारे जज़्बात लिखूं नूर लिखूं उस चेहरे का या आंखों से हुई वो बात लिखूं मैं लिखूं वो उसकी मासूमियत या इश्क़ वो रूहानी लिखूं या लिखूं वो चाहत की शिद्दत या उसका इंतजार लिखूं...
अक्सर सोचती हूं इस बारे में क्या कमी रही तुझे चाहने में... क्या प्यार नहीं था तुमसे या वक्त नहीं दिया तुमको... कुछ तो कमी बताके जाते या होते रुसवा हम मनाते
दिल अब भी तेरी राह है तकता पागल है, है तुझी पे मरता हर पल खलती है तेरी कमी लव रहते हैं खामोश और रहती आंखों में नमी...
हो सके तो वापस आजा अपना बना ले या खता ही बता जा...