Meer Aamna   (आमना मीर)
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Joined 31 May 2017


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2 HOURS AGO

मेहनत कश हाथों ने बदल दी दुनिया की तस्वीर, देखो।
न बदल पाए किसी तौर अपनी तकदीर, देखो ।।
मजबूत इरादों ने खड़ी कर दी आसमान छूती इमारतें ।
न तोड़ पाए कभी , अपनी गरीबी की ज़ंजीर, देखो।।
चेहरे की झुर्रियों से टूटे ख़्वाबों का दर्द झलकता है।
के इनका हक़ बन गया ,रसूखदारों की जागीर, देखो।।

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22 APR AT 17:45

किताबें कितना कुछ कहती हैं...
वो सब जो हम सुनना चाहते हैं,वो सब जो हम जानना चाहते हैं,लेकिन किताबों की सबसे बड़ी खासियत है कि यह आपको ,आपका वह चेहरा दिखा देती हैं जो आपने सबसे छुपाकर रखा था। किताबें हमारे अंदर झांकने का आइना है।

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19 FEB AT 11:35

मैं दिन रात धुआँ उगलता रहा
मेरा घर उसी धुएँ में जलता रहा
भरती रही सांसों में ज़हर बिटिया मेरी
मेरा बेटा जलन से आंखें मलता रहा
हर कश में मज़ा था ,
तिश्नगी बढ़ती जाती थी
कहीं मेरे अंदर ,मेरी ग़ैरत मरती जाती थी
न होश मुझे अपना न अपनों की ही फ़िकर
मैं दबे पांव मौत की तरफ चलता रहा
ऐसा नहीं के मुझे मालूम न थी
धुएं की ये हक़ीक़त
मगर सब जान कर भी मैं अपनी नज़रों में गिरता रहा
मुझे देख कर ही तो भाई मेरा बड़ा हुआ है
वो भी मेरे नक्शे कदम पर चलता रहा
तबाह कर दी मैंने अपने हाथों जिंदगी सबकी
सब लुट जाने के बाद बस हाथ मलता रहा....



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12 FEB AT 9:13

मेरी कविता का पहला शब्द तुम हो
या यूं कहूँ हर शब्द में तुम ही हो
तुम और मैं ऐसे जुड़े हैं कि
समझ नहीं आता मैं हूँ या तुम हो
लेकिन तुम केवल शब्द नहीं हो
कभी कभी तो तुम्हें सोचकर
मैं निःशब्द भी हो जाती हूँ
और कई बार मुझे शब्द भी
तुमसे ही तो मिलते हैं
लेकिन जब तुम्हें लिखने की सोचती हूँ
शब्द कम ही पड़ जाते हैं
क्या है ऐसा कोई शब्द जो
जो लिख सके तुम्हें पूरी तरह
संभवतः नहीं है कोई शब्द
लेकिन तुम कोई कल्पना भी तो नहीं
तुम तो साक्षात हो मेरे सामने प्रतिपल
मेरे अंदर ,मेरे हॄदय के स्पंदन में
शरीर में दौड़ते हुए रक्तप्रवाह में
मेरी भावनाओं में ,विचारों में
जो कुछ है तुम ही तो हो
तुम ईश्वर की कोई रचना हो
या तुमने ही ईश्वर को रचा है
निश्चित ही तुम कोई रहस्य ही हो "माँ"
और इसी एक शब्द में संसार समाया है।।


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11 FEB AT 23:52

फलसफा जिंदगी का बस इतना है,
"जीते" रहो बिन पूछे के वक्त कितना है...

गुज़र गई जिंदगी,आगे भी गुज़र जाएगी ,
खुशियों का हिसाब रखो न पूछो गम कितना है...

कितने ही महरूम है उनसे, जो तुमको हासिल है,
कर लो शुक्र उसका जो मिला,जितना है...


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9 FEB AT 10:10

एक उम्मीद का दीया हरदम जलाए रखना
तमाम दर्द तुम्हारे ,बस दिल में दबाए रखना

उदासी पर ओढ़कर अपनी मुस्कान की चादर
तुम जिंदगी को यूं ही जिंदादिल बनाए रखना

किसी की तकलीफ से परेशां कोई, होता नहीं आजकल
मगर तुम हर शख्स के लिए हमदर्दी के उजाले रखना
...

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25 NOV 2023 AT 22:40

बड़ी देर तक रहा इंतज़ार तेरा ...
अब तो इंतजार भी थक गया है

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15 MAR 2021 AT 10:20

....

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16 OCT 2020 AT 2:14

छू ले मुझे के आज संवर जाऊँ मैं
प्यार की शोख़ी में कुछ और निखर जाऊँ मैं।

तुझसे दूर जाने का मेरा जी नहीं करता,
आ रोक मुझे फिर से,ठहर जाऊँ मैं।

समेट लेना मुझे बाहों में अपनी कसकर,
तेरे आग़ोश में जो आ के बिखर जाऊँ मैं।

किसी तौर मिलता नही सुक़ून मुझको,
बता तेरे सिवा अब और किधर जाऊँ मैं।

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16 OCT 2020 AT 1:47

उसमें और मुझमें
बस फर्क है इतना
वो मेरी मोहब्बत पूरी
मैं उसकी ख़्वाहिश अधूरी

उसमें और मुझमें
बस फर्क है इतना
वो मेरी नज़्म पूरी
मैं उसकी ग़ज़ल अधूरी


उसमें और मुझमें
बस फर्क है इतना
वो मेरा उजाला
मैं उसकी शाम सिंदूरी

उसमें और मुझमे
बस फर्क है इतना
वो मेरा सबकुछ
मैं उसके लिए ज़रूरी

उसमें और मुझमे
बस फर्क है इतना
वो ज़रा सा मेरा है
मैं उसकी पूरी की पूरी


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