तमाशा धर्म का बनाने वालों ,
बेगुनाहों पर गोलियाँ चलाने वालों
कहते हो ख़ुद को इस्लाम का ठेकेदार ,
अमन की कोशिशें मिटाने वालों।
लानत है तुम पर और तुम्हारे सरपरस्तों पर ,
दहशतगर्दी से मज़लूमों को डराने वालों।
मुल्क में भाई चारा कैसे हो बर्दाश्त तुमसे?
तशद्दुद को अपना मक़सद बनाने वालों।
किसी का पिता,किसी का बेटा,किसी का भाई, किसी का सुहाग छीन लिया
तुम भी चैन से ना जी सकोगे नफ़रतें फैलाने वालों
मज़लूमों की चिताओं पर अब सिकेंगी, सियासत की रोटियाँ
बताओ क्या मिला तुमको जन्नत को दोज़ख़ सा बनाने वालों।
-
Sometime it's the best way to express your pain , your happines... read more
तुमने सुनना बंद कर दिया और मैंने बातें करना छोड़ दिया
जो टूटा कभी तुमने जोड़ा था उसे फिर तुमने ही तोड़ दिया
-
न जाने कितने सारे किरदारों में नज़र आता है
कभी पिता,कभी भाई और कभी दोस्त बनकर साथ निभाता है
ज़िंदगी के किसी मोड़ पर मिलता है महबूब बनकर
फिर मोहब्बत की राह पर चलना सिखाता है
दुनिया की भीड़ में चलता है हाथ थामकर
हर उतार चढ़ाव में साथ देकर हमसफ़र बन जाता है
माँ बाप का सहारा और बहन की हिम्मत होता है
बेटी के हर नाज़ उठाता है उसकी ताक़त बन जाता है
ख़ानदान का मुहाफ़िज़ बन कितना कुछ झेलता है अकेले
अपना हर दर्द अपनी ज़िम्मेदारियों के पीछे छुपाता है
कुछ इसी तरह कई पायदान तय करते करते
नादान और अल्हड़ सा लड़का एक दिन मर्द बन जाता है …
-
कभी यूँही ख़याल आता है
अक्सर दिल में सवाल आता है
कुछ ख़तायें ज़िंदगी का रुख़ बदल देती हैं
हिस्से में सिर्फ़ मलाल आता है…
-
हर एक पल ख़ुशनुमा नहीं होगा
सुकूँ से भरा ये समा नहीं होगा
जी लो जितना जी सको इन पलों को
जो अभी है साथ कल यहाँ नहीं होगा
-
छोटे शहरों से बड़े ख़्वाब लिए
अपनी जेबों में ढेर सारी आशाएँ लेकर
निकल पड़ते हैं तमन्नाओं की उड़ान भरने
दम लगता है ख़्वाब को हक़ीक़त में बदलने में
कभी दिल टूट जाता है कभी हिम्मत
लेकिन हारने नहीं देता कुछ कर दिखाने का “जज़्बा”
जो बुझती उम्मीदों के बीच, दिलों में फिर से शोले भड़का देता है-
मेरा एक ख़्वाब था ,के कुछ ख़्वाब तुम्हारे साथ देखूं,
जिंदगी के किसी सफर में तुम्हारे हाथ में अपना हाथ देखूं
कभी यूं ही जब तुम किसी किताब में मशगूल रहो
मैं पन्नों के बीच मोहब्बत के गुलाब देखूं
चाय की प्याली संग बातों की चाशनी का सिलसिला
मैं किसी शाम ढलते सूरज के साथ उगता चांद देखूं...
हवा की सरगोशियों के साथ मद्धम संगीत और तुम्हारा साथ
सुकून भरी किसी रात में आसमां के सितारे तुम्हारे साथ देखूं
मेरा एक ख़्वाब था ...
-
कितने ख़्वाब सजाये हमने
जाने कितने टूट गये
कुछ तो अब भी साथ हैं अपने
जाने कितने छूट गये
हाथ से फिसल कर समय की चिड़िया
दूर कहीं उड़ जाती है
सही वक़्त के इंतज़ार में
ख़्वाब भी हमसे रूठ गए...-
मेहनत कश हाथों ने बदल दी दुनिया की तस्वीर, देखो।
न बदल पाए किसी तौर अपनी तकदीर, देखो ।।
मजबूत इरादों ने खड़ी कर दी आसमान छूती इमारतें ।
न तोड़ पाए कभी , अपनी गरीबी की ज़ंजीर, देखो।।
चेहरे की झुर्रियों से टूटे ख़्वाबों का दर्द झलकता है।
के इनका हक़ बन गया ,रसूखदारों की जागीर, देखो।।
-
किताबें कितना कुछ कहती हैं...
वो सब जो हम सुनना चाहते हैं,वो सब जो हम जानना चाहते हैं,लेकिन किताबों की सबसे बड़ी खासियत है कि यह आपको ,आपका वह चेहरा दिखा देती हैं जो आपने सबसे छुपाकर रखा था। किताबें हमारे अंदर झांकने का आइना है।
-