एहसास हवा के सुनती हूं बादल से बातें करती हूं
तुम सिक्के विक्के गिनते हो मैं सपने वपने बुनती हूं
हां होगे बड़े सयाने तुम, मैं तो बस आंखें पढ़ती हूं
तुम अक्लें वक्लें रखते हो मैं ग़ज़लें वजलें कहती हूं
कुछ आदत है कुछ मजबूरी, कुछ रीत रिवायत है जग की
तुम नफ़रत वफ़रत करते हो मैं रिश्ते विश्ते चुनती हूं
तुम भेद हो कोई गहरा सा मैं उलझन सुलझाने वाली
तुम हैरां वैरां होते हो मैं जादू वादू करती हूं
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