Meenu Pariyani  
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Joined 23 November 2017


Joined 23 November 2017
26 JAN 2022 AT 21:36

हमको जान से प्यारा है
हम ही इसके रक्षक है
हम ही इसके सिपाही है
टूटने इसे न देंगे कभी
खंडित ना होने देंगे कभी
बचाये रखना हमारी जिम्मेदारी है
बीज से ये वृक्ष बन रहा
छांव बनाये घनी रखना
ये वटवृक्ष हमारा है
ये गणतंत्र हमारा है

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24 JAN 2022 AT 18:16

जो ईश्वर ने हमें दिया है
एक मासूम मुस्कान
एक निश्छल मन
एक महकती खुशबू
रहमतों की बारिश
मेरे घर की मलिका
परीयों की शहजादी
धड़कता मेरे सीने का दिल
बेटी वो आशीर्वाद है जो
ईश्वर ने हमें दिया है

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7 DEC 2018 AT 15:35

दिल की दास्तान लिख भी दो
पूरे हूए नही जो अरमान लिख भी दो
सुकूं दिल को चैन रूह को मिल जाएगा
तड़फते हूए कुछ अपने बयान लिख भी दो
गहरी खींच दो कुछ रेखाऐं भी इस पर
निशां अमिट से सियाही भीगी हुई
मिटा सके न जिसे वक्त के तूफां भी
अजर अमर से कुछ वाकयात लिख भी दो
देखे जिसे हर नस्ल कायनातो तक
पढ़ कर उठे टीस सी हर इक चेहरे पर
दर्द या खुशी जो भी महसूस करो
दर्ज उसे अमिट इबारत कर दो
कोरे कागज़ पर...

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15 JAN 2022 AT 14:25

भारतीय परिधान.. साड़ी
विश्व साड़ी दिवस पर
कितनी सुशील संस्कारी और खूबसूरत लगती है एक नारी
जब वो पहनती हैं साड़ी
कभी लहराता पल्लू तो कभी कमर में खोंसा हुआ
कभी सीधा पल्ला तो कभी उल्टा पल्ला,कभी लांग वाली तो कभी बंगाली,हर तरह से हर प्रदेश में अपनी तरह पहनी जाती है, ये भारतीय परिधान साड़ी
मां की नकल करते हूए पहली बार जब नन्ही बिटिया ने पहनी
थोड़ी लाली लगाई फिर सर पे पल्लू ले आई, बहुत हंसे थे हम सब जब वो थोड़ा लड़खड़ाई
फिर वो स्कूल के फेयरवेल में सखियों संग शर्त लगाई
मांग कर भाभी से पहनी साड़ी और पापा से थी थोड़ा शरमाई
मां की प्रतिछाया बन संभाल कर पग रखती जरा न डगमगाई,
सबका मन मोहती,अनेक रंगों वाली ये साड़ी
पहचान है ये भारतीय नारी की
पांच मीटर में पूरी सभ्यता समाये, बरसों से लोकप्रिय है नारी में ये हमारी प्रिय साड़ी
मीनू...15.1.2022

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14 JAN 2022 AT 12:36

जिस तरह सूर्य ने अपनी चाल बदली है ईश्वर करे यूं ही हम सभी के जीवन में भी चाल बदल कर अब ढ़ेर सारी खुशियों का उत्तरायण हो, सभी को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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14 JAN 2022 AT 10:56

जो उड़ती है कभी ऊंचाईयों पर
कभी गोता खाती है नीचाईयों पर
कभी काटती है दुःख के दुश्मन को
कभी ले आती है खुशियों की पतंगों को
संग संग पेंच लड़ाती है जीवनसाथी से
कभी नीचे कभी ऊपर खाती है हिचकोले
कभी सीधी सपाट उड़ती है निर्विघ्न
जैसे हो संतुष्ट अपनी उड़ान से
फिर एक दिन कट जाती है ये पतंग
चली जाती है दूर बहुत दूर ऊंचे आसमान में
नहीं मिल पाती है अपने परायों को
ऐसी है ये जिंदगी एक पतंग की तरह

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8 JAN 2022 AT 19:36

ये जो दीवानापन
क्या प्यार है
या अधिकार है

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7 JAN 2022 AT 19:33

हिम्मत रखना रिश्तों को संभालने में
वक्त लगता है दरारों को भरने में

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2 JAN 2022 AT 15:42

Word calendar day पर....
साल की पहली तारीख को बदल गया
कल जो दीवार पर टंगा था वो आज ज़मींदोज़ हो गया, पिछले साल का वो कैलेंडर, आज बीता कल हो गया
पुराना नहीं ये अतीत है हम सबका
दर्ज़ है जिसमें दिन, हफ्ते महिने का हिसाब सबका,हर तारीख एक कहानी सुनाती है
24घंटो की बयानी बताती है
365 दिनों का आईना है ये
सुख दुःख हंसी ख़ुशी का बहीखाता है ये
जनम मरण परण की दास्तां दर्ज़ है इसमें
हर इक दिन की कहानी मर्ज हैं इसमें
कितनों का हिसाब दुरुस्त है इसमें
कौन आया कौन गया सब महफूज़ है इसमें
सोचती हूं इसको ईजाद किया होगा किसने
दिन हफ्ते महिनों का हिसाब किया होगा किसने,छोटी मगर खामोश नज़र है कैलेंडर
हर इक घर की खास जरूरत है कैलेंडर
साल के बदलते ही ज़मींदोज़ हो गया
वो चमकीला नया कैलेंडर कल जो दीवार पर टंगा था,आज बदरंग पुराना होकर बीता हुआ कल हो गया वो हमारा साथी, कैलेंडर

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1 JAN 2022 AT 20:18

अब सबको खिलखिलाने देना
दूर अपनों से अब न करना
हो जाये सबकी इच्छा पूरी
रोगी रहे ना कोई रोग भगा देना
बच्चे बड़े सभी स्वस्थ रहें
रब से ये अरदास कर देना

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