आया फिर नववर्ष है,जले आस नव दीप। पहुँचे अपने लक्ष्य के, तुम हो और समीप। तुम हो और समीप,भटक पथ से मत जाना। हो तुम भी कुछ योग्य,जगत को ये बतलाना। जीवन में हो हार,कहो किसको है भाया। लेकर नव उल्लास, वर्ष नव फिर है आया।
दुष्टों का संहार करने जीवन में उल्लास भरने आई है मां दुर्गा नवरूपों में सृष्टि का कल्याण करने। कल्याणकारी, शुभकारी, शांति प्रदायिनी,शक्तिप्रदायिनी माता कामनाऐं पूरी करती हैं विपत्ति में धैर्य और संयम रखने का आशिष भक्तों को देती हैं। सुखदात्री, कष्टहरणी, रक्षाकरणी,,पालनकरणी माता कष्टों से पार लगाती है बल, बुद्धि विद्या का वर दे भक्तों के भाग्य को संवारती है। नवदुर्गा के नवरूपों में छिपा सारी सृष्टि का सार जगत जननी, ममतामयी माता की महिमा अपरम्पार।