2 OCT 2019 AT 21:45

वो मशगूल हैं इतने कि
दरख्त से भूल कर वास्ता
लगे हैं पत्तियों से राब्ता बढ़ाने में
मौसम बहारों का है
मशगूल ही रहिऐ जनाब, लेकिन
अंजाम क्या होगा इन
नए कायम रिश्तों का?
खिजांओं के आने से?

- Meenakshi Sethi #Wings of Poetry