उल्फ़त कब्र में उतरते जिस्मों से लगा बैठा नादान, फुरक़त देख तेरी किस मंज़र पर ले आई या खुदा । - Wings Of Poetry
उल्फ़त कब्र में उतरते जिस्मों से लगा बैठा नादान, फुरक़त देख तेरी किस मंज़र पर ले आई या खुदा ।
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