तुझसे क्या कहूँ,
तेरा मेरा साथ है कच्चे धागे जैसा,
उम्र किस मोड़ पर रुक जाए आखिर, क्या पता,
फिर क्यों बाँधू मैं मन में अपने इतनी गिरहें,
जिन्हें खोल न सकूँ लेते हुए विदा।
नादान जिंदगी
तू अपने तूफानों में यूँ न उलझा,
तेरी नदियों के भँवर मुझे नहीं गवारा,
किनारे पर ही रहने दे अब तो,
कहीं भटक न जाऊँ तेरी तेज़ है धारा।
नादान जिंदगी
तू इतनी भी नादान नहीं,
अपनों को जाते देखा है जिन आँखों से,
उन आँखों को झूठे ख्वाबों में न फँसा,
न जाने कौन सा पल कह दे अलविदा।
नादान जिंदगी
कोई गिला नहीं है मन में मेरे,
ना कोई तुझसे है शिकवा,
तेरी हर मुश्किल ने सिखाया आगे बढ़ना,
तूने पत्थर से तराश बनाया मुझे नगीना।
- Meenakshi Sethi
15 SEP 2019 AT 4:02