13 SEP 2019 AT 18:38

थोड़ा हँस लीजिए, थोड़ा हँसा दीजिए,
क्या रखा है नफरतों और तोहमतों में जनाब ?
सब कुछ प्रेम-प्यार से ही सुलझा लीजिए,
कुछ तीर सा दिल में चुभ रहा है अगर,
तो गिला कीजिए फिर भुला दीजिए,
क्यों बात-बात पर यूँ दूर हो जाते हैं आप?
कभी मिलने आ जाइए, कभी बुला लीजिए,
समय कहाँ है इतना किसी की सांसों के पास?
दिल को दिल से न ऐसे जुदा कीजिये,
जिंदगी कुछ भी नहीं बस एक रंगमंच ही तो है,
अपना किरदार बखूबी निभा दीजिए ।


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Meenakshi Sethi, Wings Of Poetry

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