सितारों से जड़ी चादर लिए सोया है कोई,
या फिर ख्वाब बुनते हुए अधखुली आँखों में,
चाँद से चेहरे को सूरज से बचाता है कोई,
कई राज़ दफन हैं गहरे जिसके ज़हन में वो,
कहीं आँखें तो दुनिया से नहीं चुराता है कोई,
या फिर काली गहरी परछाईं के पीछे आसमानों में,
सब बत्तियां बुझा यूँ ही छुपा जाता है कोई,
हम जिसे रात समझ कर मदहोश हो सो जाते हैं,
कहीं नशीली लोरियाँ तो छुपकर नहीं सुनाता है कोई।
- Wings Of Poetry
25 NOV 2019 AT 2:32