पक्की रात का कच्चा सपना,
कैसे इन आँखों में अटका?
पलकें खुलीं तो बाहर लपका,
सर्द सुबह के कोहरे ने झपटा,
धुँआ-धुँआ सी धुँध में लिपटा,
फैल गया फिर कभी ना सिमटा!- Wings Of Poetry
4 OCT 2019 AT 23:02
पक्की रात का कच्चा सपना,
कैसे इन आँखों में अटका?
पलकें खुलीं तो बाहर लपका,
सर्द सुबह के कोहरे ने झपटा,
धुँआ-धुँआ सी धुँध में लिपटा,
फैल गया फिर कभी ना सिमटा!- Wings Of Poetry