12 JAN 2020 AT 1:38

फरियाद

मुझसे मेरी अधूरी नींदों का हिसाब न माँग,
कर ले खुद शमा रोशन मुझसे आफताब न माँग,

बिखरा है कई हिस्सों में वजूद किस-किस को समेटूँ ?
तू मुझसे आरज़ी ज़िंदगी को चाहने की फरियाद न माँग,

रंग सब उड़ गए जिस तस्वीर से बनने के बाद,
तू उस तस्वीर के बेनूर होने की मुझसे दलील न माँग,

क्या हुआ कैसे हुआ, गुनाहगार किस-किस को करूँ ?
जाने दे इन बेमकसद सवालों के कोई जवाब न माँग,

माज़ी को याद करना तो इक इबादत है मेरे लिए,
तू मुझसे मेरी इस इबादत की क़तई वज़ाहत न माँग,

जा ढूँढ ले फिर कोई सितारा चमकता हुआ नया सा,
लेकिन मुझसे अब वो पहले सी आब-ओ-ताब न माँग ।

- Wings Of Poetry