4 SEP 2019 AT 21:11

मैं आज भी वही हूँ,
खाली और खामोश बिन तुम्हारे,
तुम आज भी वही हो,
अपनी अना सँभाले,
जिस मोड़ से तुम मुड़ गए थे,
मुझको बिना बताए,
मैं अब भी वहीं खड़ी हूँ,
आँखों में इंतज़ार समेटे,
दिल में गमों को पाले,
माना न मिल सकेगा,
मुझे साथ ये तुम्हारा,
फिर भी लिख दी है अपनी,
हर सांस नाम तुम्हारे,
हो सके तो लौट आना,
जब तक दिए में लौ है,
जाने कब तलक जल पाए,
ये शमा बिन तुम्हारे?

- Wings Of Poetry