30 SEP 2019 AT 20:53

लेकिन बहरे कर देने वाले शोर से भली है,
यहाँ मैं आज़ाद हूँ, अपने भंवर में,
किनारों के खूँटों से बँधे होने से अच्छा है,
यहाँ सत्ता है मेरी मनमर्ज़ियों की,
मैं कोई भी ख्वाब सजा लूँ, किसने रोका है!
तन्हाई है तन्हाई...
लेकिन यहाँ फरेब नहीं, धोखा नहीं,
ना ही कुछ खोना है।
तन्हाई है तन्हाई...
लेकिन यहाँ झूठ नहीं, सब सच्चा है ।

- Wings Of Poetry