14 SEP 2019 AT 21:57

जब जज़्बात बोलने लगते हैं
रूहानी मंज़र होता है
जब शब्द बेज़ुबां होते हैं
ये दिल की बोली ऐसी है
जिसकी कोई आवाज़ नहीं
दिशाएँ भी गूँजने लगती है
जब दो दिल बातें करते हैं
महक उठती हैं फिज़ाएँ भी
और गीत हवा में बहते हैं
झूम उठता है आलम सारा
सब गम पिघलने लगते हैं
भाषाएँ गुम हो जाती हैं
जब जज़्बात बोलने लगते हैं ।

- Wings Of Poetry