हम भी ज़मीन वाले हैं,
कभी ख्वाहिश हो अगर,
ज़मीं पर उतरने की,
बस बता दे हमें इक बार,
न बादलों में छिपेंगे,
न सिमट आधे होंगे,
बल्कि सीना देंगे तान,
चाँद से कहना वो,
जानता है कहाँ,
इश्क करने का हुनर,
उसे तो बस आता है,
रूठना और इतराना जनाब,
ज़मीन से सीखना होगा उसे,
दूर रह कर भी, करना इश्क
आसान नहीं है ये ख्याल,
जुदाई का दर्द बेइंतिहा झेलना होगा,
हर रोज़ गम में पिघलना होगा,
तब कुछ देर के लिए कहीं,
होगा दीदार-ए-यार,
चाँद से कह दो...- Wings Of Poetry
8 SEP 2019 AT 18:39