गमों में भी मुस्कुराते, गुनगुनातेक्योंकि खुशियों भरे दिनों में कुछ बचत कर जोड़ ली थी पूँजी अब निकाल कर चख लेते हैं थोड़ी-थोड़ी जब भी कड़वी दवा सी लगने लगती है जिंदगी। - Wings Of Poetry
गमों में भी मुस्कुराते, गुनगुनातेक्योंकि खुशियों भरे दिनों में कुछ बचत कर जोड़ ली थी पूँजी अब निकाल कर चख लेते हैं थोड़ी-थोड़ी जब भी कड़वी दवा सी लगने लगती है जिंदगी।
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