25 SEP 2019 AT 3:42

गमों में भी मुस्कुराते, गुनगुनाते
क्योंकि
खुशियों भरे दिनों में
कुछ बचत कर जोड़ ली थी पूँजी
अब निकाल कर चख लेते हैं थोड़ी-थोड़ी
जब भी कड़वी दवा सी लगने लगती है जिंदगी।

- Wings Of Poetry