दोनों सही
तुम भी वही, मैं भी वही
जो बदल गया वो वक़्त था
तुमसे कोई गिला नहीं
बहुत सी थीं मजबूरियाँ
कुछ तेरी और कुछ मेरी
इक इम्तिहान है ये जिंदगी
और आसान कुछ भी नहीं
अब अलग हैं अपने रास्ते
तुम कहीं और मैं कहीं
फिर भी
दुआओं में शामिल हो तुम
चाहे हम जाएँ कहीं।
- Wings Of Poetry
12 SEP 2019 AT 21:22