दिल में जमकर बैठे हो
आँखों से अब गिरते नहीं
अंदर ही अंदर बहते हो
मेरे ठंडे पड़े अहसासों में
दर्द बनकर जम जाते हो
बिजली यादों की कौंधे तो
आँखों में बादल से छाते हो
पानी तुम नाराज़ हो हमसे
मन में ही शोर मचाते हो
आँखों से अब गिरते नहीं
बर्फ से जम जाते हो ।- Wings Of Poetry
30 SEP 2019 AT 20:31