अगर ठंडी हवाओं का,
बहते दरिया का,
गिरते झरनों का,
उगते फूलों का,
झिलमिलाते तारों का,
सूरज, चाँद, सितारों का,
इस सृष्टि के होने का,
तो फिर कुछ तो बता...
क्या कारण है?
मेरी तन्हाई का?
गम की परछाई का?
अपनों से जुदाई का?
जिंदगी की रुसवाई का?
टूटते मनोबल का?
छूटती उम्मीदों का?
क्या कारण है?
मेरे होने का?
- Meenakshi Sethi #Wings of Poetry
13 SEP 2019 AT 2:25