Meenakshi M   (Meenakshi...✍️)
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Joined 19 March 2022


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Joined 19 March 2022
14 JUN AT 16:11

पल भर में खाक हो गयी वो सपनों की उड़ान
प्रकृति में आया एक अकस्मात सा तूफान
कई अनमोल ज़िंदगियाँ हो गई गुमनाम
उन सब प्रियजनों के इंतज़ार पे लग गया पूर्ण विराम

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11 JUN AT 16:52

जीते जी जब तुम प्यार से हाथ न थामो
मरते मरते कन्धा देने का फिर क्या फायदा

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10 JUN AT 0:08

Happy Birthday
to the most caring,
loving, adorable,
beautiful at heart
ñ appearance
May ur all good
wishes Come true..
Love ñ hugs
❤❤🤗🤗🌹🌹
😘😘🍫🍫

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10 JUN AT 0:02

Happy Birthday to the
most caring, loving,
adorable, beautiful
at heart ñ appearance
May ur all good wishes
Come true.. Love ñ hugs
❤❤🤗🤗🌹🌹😘😘🍫🍫
🎂🎊🎈🎉🎀🎁❤❤🤗🤗

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8 JUN AT 23:07

खरोच के सीने का सुकून बैठे हैं वो बड़े अदब से
ज़िन्दगी में गम क्या कम थे जो वो बन बैठे आंँसुओं के सबब से

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7 JUN AT 18:24

वक़्त देना भी बहुत ज़रूरी है और सही शख़्स भी बहुत ज़रुरी है
सच्चे प्यार बिना ज़िन्दगी अधूरी है और सच्चा साथी न हो तो मज़बूरी है

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15 MAY AT 16:57

दर्द से दोस्ती क्या कर ली हर कोई दर्द ही देने लगा
दर्द इतना बड़ा कि दर्द-ए-दिल खोल के रोने लगा

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13 MAY AT 16:33

काश मेरी मांँ होती जो बचपन से तो
मैं भी मांँ की गोद में सर रख कर
सुकून की नींद तले ख़्वाबों में खो जाती
मेरी ज़िन्दगी खुशियों के अलग-अलग
रंगों से भरी होती और मेरा चेहरा तो
फूल की तरह खिल जाता और हर
एक लम्हा खूबसूरत हो जाता

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11 MAY AT 1:26

जम्मू कश्मीर की वादियों को पता नहीं किसकी नज़र लगी है
तब से अब तक न जाने कितने-कितने मासूमों की बलि चढ़ी है
धर्म पूछने वालों की व्याख्या में अंगिनत शब्दों की कमी है
बचपन से देखती आ रही हूँ अभी भी जंग ही चल रही है
कश्मीर की होते हुए भी कश्मीर जाने से अत्यन्त डर रही हूँ
खून का रंग एक है आये भी खाली हाथ है,
फिर भी न जाने क्यों लोगों में प्यार की कमी है
इतना कुछ देख लिया जन्म से कि अब आँखों में नमी ही नमी है
नींद भी उड़ गई है सुकून भी खो गया है, साँसे भी कहीं थम सी गई है
ज़ार ज़ार कर बैठे हैं लोग मज़हब के नाम पर,
जिस्म की ही नहीं रूह की भी चढ़ी बलि है

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26 APR AT 1:46

हिंदुस्तानी होकर हम हिंदुस्तान में सुरक्षित नहीं
हमारे रक्षक होते हुए भी हमारा कोई रक्षक नहीं
हिंदुस्तान का ताज आज फिर से लहू-लुहान हो रहा है
आँखों से अश्क नहीं खून ही खून बह रहा है
तन ही नहीं मन भी कहीं ना कहीं छलनी सा हो गया है
ओ धर्म पूछने वालों तुमने इंसानियत का मतलब कब का खो दिया है
वो सर का ताज जैसे कहीं झुक सा गया है
हमारा कश्मीर यूँ ही कहीं थम सा गया है... बस थम सा गया है...

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