Meenakshi Garg   (Meenakshi Garg)
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Advocate Meenakshi_mittal insta id
Joined 20 May 2020


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31 MAY AT 19:03

अब ना जितने की चाह है
अब ना हारने का मलाल है.
अब ना किसी की तालीयों की आवाज़ का इंतजार है
अब ना कोई मन में साज बाज है.
अब सिर्फ दिल में उठ रहे तूफ़ान से लड़ना है
और ख़ामोशी भरी जिंदगी जीने की चाह है.
जो मिला है उसमें सुकून ढूंढ लू
बस यहीं एक छोटा सा खबाब है.

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5 APR AT 21:12

तो अपने भी बेगाने हो जाते है।
क्यों यहाँ सब पैसों के दीवाने हो जाते है।
मुक्कद्दर साथ हो तो
बेगाने भी अपने बन जाते है।
बिन पैसों के यहाँ
सब बेगैरत बेचारे बन जाते है।
क्यों इतना जरूरी होता है ये
क्यों सबका मुक्कद्दर होता है ये?

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30 MAR AT 12:24

वो सदा मुस्कुराते है।
पर हिम्मत दिखाने के लिए
हिम्मत होनी भी जरूरी है
जब सारे खबाब बिखेर दिये गये हो
दूसरों के पैरों तले रौंद दिये गये हो
फ़िर कहाँ साहस बचता है।
फ़िर तो बस युंही ये जीवन
घुट घुट कर मरता है।

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25 MAR AT 21:32

किसी को पाने की चाहत
तो किसी को आसमाँ छूने की चाहत।
किसी को सपनों की उडान भरने की चाहत।
तो किसी को सिर्फ सुकून से जीने की चाहत।
किसी को अपनों के साथ रहने की चाहत।
तो किसी को अपनों से मुह मोड़ने की चाहत।
किसी को दिल लगाने की चाहत।
तो किसी को दिल तोड़कर जाने की चाहत।
किसी को किसी का दिल से इंतज़ार करने की चाहत।
तो किसी को बस एक फ़ोन काल की चाहत।
ये चाहत कहाँ किसी की पूरी होती है।

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25 MAR AT 21:21

We thought that these are just little things.
But sometimes little things are not just little things.
These things matter a lot.
eg. a cup of coffee with your special one.
eg, a fresh flower fragnance,
eg, when you met with someone incidently.
eg, when you make a crying person laugh.

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25 MAR AT 21:11

उससे पूछो जिसने दर्द भरी डलिवरी के बाद
अपने बच्चे को देखा हो।
एक लम्हें का सुख
उससे पूछो जिसने किसी को खोकर
फ़िर से पाया हो।
एक लम्हें का सुख
उससे पूछो जिसने सब कुछ दाव पर लगाकर
जीत हासिल की हो।
एक लम्हें का सुख
उससे पूछो जिसने सालों मेहनत करके
गोल्ड मैडल लाया हो।

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17 MAR AT 20:59

क्यों इतने कड़े इम्तिहान की घड़ी है?
क्यों हर जगह सिर्फ मतलबी दुनिया खड़ी है?
क्या अच्छा है हमारे लिए
जो इतना वक़्त लग रहा है.
क्यों भगवान भी हमें इतनी बारीकी से परख रहा है?

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6 DEC 2024 AT 21:54

शांत हूँ अभी इसका मतलब ये नहीं की मैंने जबाब देना छोड़ दिया है ।
वक़्त की मार है बस थोड़ी सी, इसका मतलब ये नहीं मैंने चलना छोड़ दिया है।
कभी वक़्त वो भी था जब सबकी औकात दिखाया करते थे,
आज जब अपनी औकात की बात आई तो सबने साथ छोड़ दिया है।
चुप हूँ मग़र ये नहीं है की मैंने कहना छोड़ दिया है।

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20 NOV 2024 AT 21:10

उसी के रहना चाहते है।
हर पल हर दफा बस उसी के होना चाहते है।
कभी मन में आता है वो भी ऐसा ही चाहे
पर चाह कर भी उनसे कुछ कह नहीं पाते है।
जिसको पहले चाहा बस उसी का होना चाहते है।

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20 NOV 2024 AT 20:52

मेरे काले जूते जिनको हर पल
हर समय मैं रौंदती रहती हूँ।
अपने पैरों तले कुचलती रहती हूँ।
वो जूते कभी उफ़ नहीं करते।
बस चलते रहते है चलते जाते है।
कितना घिसती हूँ, कितना रगड़ती हूँ
फ़िर भी बिना रुके बिना थके बस चलते जाते है।
कुछ इस तरह ही होती है ये जिंदगी भी।
कभी हॅसाती है तो कभी रुलाती है।
कभी तड़पाती है तो कभी सताती है ये जिंदगी,
फ़िर भी बिना रुके बिना थके
बस चलती जाती है चलती जाती है।
कभी अपनो को भूल जाती है
तो कभी गैरों को भी गले लगाती है।
कभी छाव देखकर भी घबरा जाती है
तो कभी धूप में भी दोड लगाती है ये जिंदगी।
कभी छोटी छोटी बात पर दुखी हो जाती है
तो कभी खँजर का जखम भी सह जाती है ये जिंदगी।
फ़िर भी उफ़ तक नहीं करती
और फ़िर भी बस चले जाती है चले जाती है ये जिंदगी।

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