कुछ लड़ाइयां जिन्दगी में अकेले लड़नी होती है
फ़र्क नही पड़ता आप जीते या हारे
डर से मरे या डट्ट कर मारे
फ़र्क नहीं पड़ता की कौन अपना है कौन पराया
किसने साथ दिया और किसने सताया
फ़र्क नहीं पड़ता की किस ओर हवा का रुख है
कहां किस कदम पर दुख और कहां सुख है
ना कोई दोस्त , ना कोई सहारा
ना ये दरिया है ना किनारा
बस एक लड़ाई है ......
और ये लड़ाई अकेले लड़नी है
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apni kalam ki takat se aj ki duniya ko ek nyaa raa... read more
Kaash ek bhulne ki dwaa mujhe bhi mill jae
Meri barbadi ko koi esii duaa mill jae
Ek pal me bhool jaugi drd mai waada krti hu
Tumhy bhi bhoolna ho to btaa dena
Bss ek Yadashtt jaane ki koi jaduii hwaa mill jae— % &-
मै मोहबब्त तो छोड़ दू
तुम्हारे हक की दुआ कैसे छोडू
चलो हर रिश्ता तोड़ दू
मैं दिल से जुड़ा ये तार कैसे तोड़ू
हर रास्ता जो तुम तक जाए वो मोड़ दू
बस इतना बतादो ये जो हवा उस ओर आ रही है
उसे कैसे मोडू 😌— % &-
मै एक कब्र हूं
तुम्हारे इंतजार का बेशुमार सब्र हूं
मैं एक कब्र हूं बेइंतेहा राज़ की
मैं एक कब्र हूं सिसकती आवाज़ की
मैं एक कब्र हूं कई अनदेखे जख्मों की
मैं एक कब्र हूं कुछ टूटी कसमों की
दफन है मुझमें मेरे ही कुछ एहसास
दफन है मुझमें मेरे ही कुछ पल खास
दफन है दुखता सा हिस्सा मन का
दफन है एक शिकारी सपनो के वन का
दफन है मुझमें भी कुछ बातो की डोर
दफन है मुझमें वो शाम और भोर
दफन है मुझमें भी वजह कई
दफन है मुझमें दिल की एक आवाज़ नई
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जय जवान जय किसान कहते है
ये हर भारतीय के दिल मे रहते है
हम चैन की नींद सो सके ,
इसलिए जवान ना जाने क्या कुछ सहते हैं
पथरीले रास्ते हो या ठंडी हवा
बरसते आग के गोले हो या यादों का धुआं
ये हर चीज से लड़ते हैं
ऊंची चट्टाने भी इनका रास्ता रोक नही सकती
ये निरंतर आगे बढ़ते है
जान जोखिम में डालता है जवान
तभी तो दुश्मन के सीने मे जीत के झंडे गड़ते है
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मुझे पाने की ख्वाइश तुम्हारी
लेकिन मैं अभी ओर खोना चाहती हूं
हंसती मुस्कुराती अच्छी लगती हूं तुम्हे
लेकिन अभी ज़रा सा रोना चाहती हूं
तुम ख्वाब हो मेरे मान लेती हू
की......तुम ख़्वाब हो मेरे मान लेती हूं
हां तो मैं अभी ओर सोना चाहती हूं-
तेरी इक झलक ...
वो बीता वक़्त दोहरा गई
आज ये पलक ...
आंसूओं से घबरा गई
मेरा हर जख्म आज हरा सा लगता है
ये दिल ना जाने क्यू डरा सा लगता है
ख़ामोश मेरी नज़रे....
तुमसे बहुत कुछ कहती जा रही थी
मै जानती हूं मैं अपना हर दर्द
एक बार फ़िर सहती जा रही थी
'तुम' थे , 'मै' थी ...
अब 'हम' खो चुके थे
सपने थे, हक़ीक़त थी
अरमान मन के सो चुके थे
जीत थी , हार थी
संतुष्टी दिल की मर चुकी थी
कभी तुम्हे देख कर फुली नही समाती थी
आज रूह मेरी डर चुकी थी-
एक पैगाम लिखना चाहती हूं
इस बीते साल के नाम
कभी यूंही बेसुध भागी हूं मैं
कभी किया थोड़ा आराम
एक शुक्राना लिखना चाहती हूं
इस बीते साल के नाम
कुछ अंजान शक्सियत थी
जो आज मेरा हर पल बन गई है
मै सुनसान सा एक रास्ता था
उनकी मौजूदगी हलचल बन गई है
कुछ शक्सियत दिल मे बसा करती थी
आज उनकी मौजूदगी का एहसास ज़रा कम है
खिलखिलाती थी जिनके नाम से भी
मुझे खोकर आज उनकी आंखे नम है
हर दिन मातारानी ने कुछ नया सिखाया
इस बीते साल में कुछ अपने बने
कुछ के असली किरदार से रूबरू कराया
कभी मैं रूठी और कभी रूठो को मनाया
इस बीते साल के हर पल में मैंने
जिंदगी को एक त्योहार सा मनाया
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जय वीरु की यारी की मिसाल देता होगा जमाना
तुम सुदामा से बन पाओ तो दोस्ती कुबूल है
दर्द हो या खुशी सब बांटोगे
दोस्ती का तो बस इकलौता यही उसूल है
खूबियों को मेरी सराह देती है दुनिया सारी
तुम मेरी कमियों को अपनालो , तो दोस्ती कुबूल है
जीत हो हार मेरी बस गले से लगाओगे
दोस्ती का तो बस एक यही उसूल है
वादा करो फर्क नही पड़ेगा कभी औकात से मेरी
तुम कृष्ण मेरे मै सुदामा बन जाऊं
तो दोस्ती कुबूल है
मेरी जगह किसी को दोगे नही बस दोस्ती का यही उसूल है।
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जिसकी वजह से 2 वक़्त रोटी खाते हो
वो दिन रात खेत में हल चलाता है
जिसे मामूली किसान कहकर अनदेखा करते हो
वो तपती धूप में अपना शरीर जलाता है
माथे पर एक शिकन तक नही उसके
ना जाने इतनी हिम्मत कैसे जुटाता है
मौसम की मार हो या मंडी की दौड़
वो उम्र भूल कर सीधा तन जाता है
वो किसान ही तो है जो सिर्फ अपने घर का नही
हर घर का चूल्हा बन जाता है
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