नशे की लत
है बड़ी गलत!-
छोड़कर "मै" को, कितने ही सूफी बन गए
चाय के शौकीनों को, परहेज तक ना हुआ!
शब्दार्थ: मै:शराब/अहम-
धन धान्य के हो भंडार
सुख समृद्धि हो अपरंपार
प्रकाश और खुशियां लाए
दीपावली पर्व बारंबार!
(शुभ दीपावली)-
ठहर गया है तुझपे ही, ना जाने क्यों सफर मेरा?
तू बारिश बन कर आया है मुसाफिर की राह में!-
ईश्वर को ना मानना, ईश्वर को मानने की दिशा में पहला कदम है!
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हिफाजत हर किसी की वह बड़ी खूबी से करता है
हवा भी चलती रहती है दिया भी जलता रहता है!
(निशांत श्रीवास्तव)-
महज हसीं चेहरों के पीछे भागने वाले जान लें
बेहद खूबसूरत फूलों में खुश्बू नहीं होती!-
When You like a flower
You pluck it...
And when you love it
You water it!
Unknown-
मंजिल तो पता है
रास्ता पता नहीं
धुंध ही धुंध है
धूप का आसरा नहीं
अंधेरी सी सुरंग में
मशाल क्या ? दीया नहीं
थके कदम ,बेजान जिस्म
ये नहीं कि हौसला नहीं
चलते जाना काम है मेरा
ऐसा नहीं कि खुदा नहीं!-
मैं अपने इश्वर से इसलिए प्रेम कर पाता हूं क्योंकि
वह मुझे उसे अस्वीकार करने की स्वतंत्रता देता है!
रविंद्र नाथ टैगोर-