मैंने इसबार मन बना लिया था वापस शहर लौट कर नहीं जाऊँगा मैंने माँ को बोला भी देख माँ शहर तेरे बेटे को तुझ से छीन रहा है. तब माँ हसकर बोली की नाही तू अकेला बेटा हैं और नाही मैं अकेली माँ हूँ की जिसका बच्चा उसे छोड़कर जा रहा हैं पूरे गाँव पर नजर डाल कर देख कितनी माँएं हैं जो अपने बच्चों से दूर रहकर जी रही है मैं भी जी लूँगी .
माँ आखिर में कहती हैं की
" जिंदगी में तुम कुछ बनो या न बनो कुछ कमाओ या न कमाओ मगर इतने काबिल जरूर बनो की अपने माँ
बाप के पास रह सको ".
❤️ सुनिल दोरिक-
Bsc ( 2010 )RADIOGRPHER... read more
" बाप म्हणजे लेकरांच्या कपाळावरची
आयुष्याची रेघ
सुक्या आभाळात बरसणारे मुसळधार
पावसाळी मेघ ".
❤️ सुनिल दोरीक
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" कधी कधी जीवन जगतांना नैराश्याचे खापर
नशिबाच्या माथ्यावर फोडावंच लागतं
असं नाही केलं तर सुरळीत जीवन जगणं हे
आणखीनच मुश्किल होऊन बसतं ".
❤️ सुनिल दोरीक-
" जिंदगी हमारी टहलती रहती है
14 जनवरी और 14 फ़रवरी के इर्दगिर्द
पतंगों की तरह कटने के लिए "
❤️ सुनील दोरिक-
Shreeji Sai Diagnostic Udhana
" Happy Makarsankranti"
Date 14 /01/2022 शुक्रवार को
सेंटर बंद रहेगा
Date 15/01/2022 शनिवार से
9 बजे सेंटर खुल जाएगा-
चलो ये भी मैंने माना बड़ा झूठा है जमाना
तेरे लब पे भी कभी हकीकत थी है ना होगी
❤️ यूसुफ दिवान-
" घर की खिड़कियों को और घर की
लड़कियों को
अपने आप खुलने की अनुमति नहीं देता
हैं ये समाज
फिर होता यूँ हैं कि हवा के झोंके से खुल
जाती हैं खिड़कियां
और समाज के डर से उड़ जाती
है लड़कियां ".
🎭 सुनील दोरिक-
परतीचा हा प्रवास किती खडतर
आठवणींचा प्रवास किती बदत्तर
गाडी पुढे पळत सुटते सुसाट वेगाने पण
मनावर फिरत असते भूतकाळाची कातर
🎭 सुनील दोरीक-
आँखें बुझ जाएगी
ख्वाब खो जायेंगे
यूँही जल जायेंगे
यूँही मिट जायेंगे
🎭 साबिर ज़ाफ़र-