बीते बरसों बरस कितने सावन गुजर गए
हर रिमझिम फुहारों ने कुछ तन मन को गीला किया
अपने अरमानों को धो कर इक निखरा प्यारा परिवार किया
जो बचे हैं अब जीवनपल, चलो खर्च अपने पर किया जाए
चलो इस अवतरण दिवस पर कुछ अपनी भी सुनी जाए
बहुत सुनी सब की अब तो अपनी कुछ सुनी जाए.....-
घर मेरो नंदलाल आयो
खुशियों ने कदम राख्यो
छायो खुशियाँ ही खुशियाँ
मन मनोहर मन भयो ।।-
मेहनत कश इंसान कहाँ किसी की आस में रहता है
हो जो भी हालात डट कर मुकाबला करता है
स्वाभिमान की रोटी खाता दिन रात कड़ी मेहनत करता
न कभी हाथ फैलाता चाहे हो कितनी भी मुश्किल डगर
मजबूरियो का न कर बहाना वो करता मेहनत दिन रात
सर उठा कर जीता है कभी न फैलाता किसी के आगे हाथ ।।-
आस्था की नदी में डुबकी लगाकर
कर मन मंदिर को स्वच्छ निर्मल
हो जा मगन तू अपने संस्कारों में
बहा दे अपने सारे भ्रम,आशंका
हो जा पावन इस गंगा जल में
कर ले जीवन सुन्दर उज्जवल।।-
तेरे आने के इंतजार में आज तलक फूल लिए बैठा हूँ
था विश्वास तू आएगी एक दिन मेरे पास जरूर
अब तो जीवन की भी शाम ढलने को पास आ गई
रुख़सत-ए-दुनिया होने से पहले आरज़ू है तेरे दीदार की
एक बार आकर झलक तो दिखला जा तू मेरे हमदम
सारे ग़मों को भूल कर मैं इस धुंध में कहीं खो जाऊँगा।।-
कहीं तो आशियाना होगा अपना गगन तले
उन्मुक्त फ़िजा में दूर सन्नाटे की चादर ओढ़े
हम तुम होंगे और होगा पक्षियों का कोलाहल
जहाँ बैठ हम बुना करेंगे ढेरों सपने सुन्दर ।।-
ये मेरा सफ़र बहुत मुश्किलों भरा दिख रहा
चलते चलते हम ये किस ओर आ गए
चारों ओर दरिया कुछ समझना कठिन
लगता है इम्तिहान की घड़ी लंबी होगी।।-
वक़्त की रेत पर जिंदगी फिसलती जा रही
समय की वक़्त से मुलाकात नहीं हो रही
जिए जा रहे है बस जिंदगी की तलाश में
ज़िंदगी वक़्त की रेत सी फिसलती जा रही।।-
इतना हो जीवन में प्यार हो जीवन भर साथ तुम्हारा
बनूँ मैं तेरी परछाई रहूँ बन साया मैं तेरी,
तेरे सुख की मैं बनूँ हक़दार, दुःख की भागीदार
हो जीवन तेरे ही संग मांगू सिर्फ़ रब से ये वरदान ।।-
भाई बहन के प्रेम की ये डोर
जो बंधी कच्चे धागे से
सबसे पावन, पक्की डोर
जिसका न कोई ओर न छोर,
ये बँधी मन के सच्चे बंधन से
जो टूटे से न टूटे ।।-