Tumhari in kadmo me Gulab-E-Jahan bichadu,
Dil ki yah khwahish hai ki tumhare liye Khushnuma-E-Pal bichadu....-
KYA KHUBSURAT ALFAZO ME LIKHA HAI KISI NE...
ITNI JAGAH TO BNAYI HOGI MAINE TUMHARE LIYE DIL
MEIN.
BAS EK KHUSHNUMA SA MULAQAT CHAHIYE
SABAR KA IMTEHAN NA LO YE TAMANNA HAI MERE
DIL MEIN.-
Wo sehri na jaane kab aye gi.
Jab wo kahegi utho na jaan,
Warna Azaan ho jaye gi...-
रौशनी के लिए दिया जलता हैं,
शमा के लिए परवाना जलता हैं,
कोई दोस्त न हो तो दिल जलता हैं,
और दोस्त आप जैसा हो जो ज़माना जलता हैं!-
भेजो न मुझे वापस तुम साहे अता होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
लगता था न दिल मेरा तस्बीह ओ इबादत में ,
कैदी था मेरे मौला मै कबसे जलालत मै।
उर आया तेरे दर पर पिंजरे से रिहा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
के माना है जामने कि साही से इसे बेहतर ,
बन जाऊंगा अगर तेरे नोकर का जो मै नोकर।
कर लूंगा बसर अपनी टुकड़ों पे रज़ा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
है चांद को क्या उसकी औकात दिखा भी दो,
सकार मेरे पर्दा चेहरे से हटा भी दो।
अब और न तरपाओ तुम नूरे खुदा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
खोले न अगर अभ्भी किस्मत के मेरे ताले,
हलात पे हस हस के बोलेंगे जहां वाले,
मारा हुआ फिरता है आका का गदा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
तरकीब तो प्यारी है ज़व्वाद ये जीने की,
खवाईश है कि पाकीज़ा सेहरा- ए - मदीना की।
मिट्टी में मिल जाऊं ऐ काश फना होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।-
आग लगा दुंगा उन तमाम खवाइशो को
जिनकी वजह से
मेरे अम्मी अब्बू को
झुकना परे।-
लोगो से रिस्ता निभा कर एक ही बात सीखी है।
किसी की हद से ज्यादा फिकर करोगे तो वो इंसान आपको फालतू समझने लगेगा ।।-
सभी इंसान हैं मगर
फ़र्क सिर्फ़ इतना है..
कुछ ज़ख्म देते हैं और
कुछ ज़ख्म भरते हैं
हमसफ़र सभी है मगर
फ़र्क सिर्फ़ इतना है ...
कुछ साथ चलते हैं कुछ
साथ छोड़ देते हैं
दोस्ती सभी करते हैं
पर फ़र्क सिर्फ़ इतना है ...
कुछ दोस्ती निभाते हैं
कुछ दोस्ती आज़माते हैं...-
Alfaazo ko jo aap ne
apni lafzo se savara hai
Ye haale dil tamam hai
jo lafzo pe aaya hai.....-