भेजो न मुझे वापस तुम साहे अता होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
लगता था न दिल मेरा तस्बीह ओ इबादत में ,
कैदी था मेरे मौला मै कबसे जलालत मै।
उर आया तेरे दर पर पिंजरे से रिहा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
के माना है जामने कि साही से इसे बेहतर ,
बन जाऊंगा अगर तेरे नोकर का जो मै नोकर।
कर लूंगा बसर अपनी टुकड़ों पे रज़ा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
है चांद को क्या उसकी औकात दिखा भी दो,
सकार मेरे पर्दा चेहरे से हटा भी दो।
अब और न तरपाओ तुम नूरे खुदा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
खोले न अगर अभ्भी किस्मत के मेरे ताले,
हलात पे हस हस के बोलेंगे जहां वाले,
मारा हुआ फिरता है आका का गदा होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
तरकीब तो प्यारी है ज़व्वाद ये जीने की,
खवाईश है कि पाकीज़ा सेहरा- ए - मदीना की।
मिट्टी में मिल जाऊं ऐ काश फना होकर,
मर जाऊंगा रो रो कर मै तुमसे जुदा होकर।
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