Md Shaquib   (Shaquib Muhammad)
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Be friend with your pen and paper.
Joined 9 January 2018


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16 FEB AT 16:54

तेरी जरुरत है मुझको
जैसे मछली को है पानी की,
बुद्धिहीन को ज्ञानी की।
कलकल नदियों को निर्मल की।
मंजरी को परिमल की
जैसे हारे को है जीत की,
अंखियों को है प्रीत की।
दरिया को तरंगो की,
इन्द्रधनुस को रंगो की।
जैसे चंदा को है तारे की,
नौका को है किनारे की।
कृष्ण को है राधा की,
जग मानूस को ज्यादा की।
जैसे जीवन को है रवी की,
शब्दो को है कवी की।

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1 MAY 2022 AT 14:52

दिल मेरा भर गया है लबा लब,
जब से छुये हैं तेरे लबों ने मेरे लब।





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22 JUL 2021 AT 23:48

khud se rihai mumkin nahi Shaquib
Tu apni sabse buri aadat hai

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27 JUN 2021 AT 0:22

जिसे जिंदगी की गीत सुना दी
वो दिल की बहरी निकली

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6 JUN 2021 AT 18:53

If you don't achieve your dream on time,
The dream becomes nightmare

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19 MAY 2021 AT 22:36

पहले लगता था की वो शराब की बोतल है,
जब नशा उतरा तो सिर्फ बोतल दिखी।

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15 MAY 2021 AT 0:32

आज लोगो को ईद मनाते देखा,
कल तुम छत पे आये थे क्या।



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7 MAY 2021 AT 0:06

तेरे होने से इत्मिनान मिला,
मेरे वजूद को नया पहचान मिला।
तेरा शुक्रिया काफी नही कर सकता दोस्त,
तेरे मिलने से मेरे जीस्त को नया जहान मिला।


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22 OCT 2020 AT 11:20

जब देखो तुम आईना
ज़रा सा मुस्कुरा देना
गम जो तेरे चेहरे पे हो
एक पल को उसे छुपा देना

आसूं बहे तुम्हारी आंखों से अगर
उन्हें अपने पलकों पे ही सजा देना
दर्द पहले भी था, दर्द आगे भी रहेगा,
तुम बस उस दर्द को भुला देना

आह जो तेरे दिल से निकले
अपने होठों में ही उसे दबा देना
जब देखो तुम आईना
ज़रा सा मुस्कुरा देना

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3 AUG 2020 AT 19:16

दिल रो रो के करता है वर्जिशें
और क़ुव्वत मिलती तसव्वुर को है।

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