पलके...
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3 JUL AT 19:48
मैं गुनाहगार हूं
अपने दिल का
मैं जानता हूं,
किस हद तक
मारे है जज़्बात इसके
मैं जानता हू ♡-
25 JUN AT 18:59
मुझे जो झंझोड़ दे
कुछ तो होगा,
कर दे मुझे जुझारू
कुछ तो होगा,
बाहर नहीं
तो अंदर तो होगा-
20 JUN AT 18:31
सागर मै मिलने की तमन्ना नहीं
तमन्ना सागर बनने की है,
शायद मैं परिचित ही नहीं
सागर के तूफान से
उसके बहाव से
उसकी व्यापकता से
उसकी गहराई से-
9 JUN AT 20:43
मंजिल की चाहत के लिए,
सफ़र करने के लिए
थामा हाथ हमसफर का,,
मंजिल मिली,
मिले मंजिल वाले,,
हमसफ़र का कारवां खत्म
अब उसे कौन जाने?-
28 MAY AT 7:58
जीवन की प्रकृति
अस्थिरता है,
हमारी कोशिश
उसे स्थिर बनाने की होती है,
जीवन की ये उठापटक
जीवनभर चलती है-