होने थे जितने खेल,
हो गए...
इसी भ्रम में हम,
कितना सफर करे..-
11 AUG AT 18:06
पसंद उन्हें हमारी सादगी आई
फिर वही सादगी पर
ताना कस गए,
जिंदगी का एक रंग देखा
फिर दूसरा देखा
तीसरा हम खुद बन गए,
पहला रंग विकल्प
दूसरा रंग विकल्प
तीसरे रंग में
हम खुद के बन गए..-
6 AUG AT 17:19
वो हिचकिचा गए
क्योंकि वो सरल है,
इसीलिए वो पसंद है
क्योंकि वो सरल है,
कैसे बताए उनको
सरल के मायने आम नहीं,
वो खास ही इसीलिए है
क्योंकि वो सरल है..-
3 JUL AT 19:48
मैं गुनाहगार हूं
अपने दिल का
मैं जानता हूं,
किस हद तक
मारे है जज़्बात इसके
मैं जानता हू ♡-
25 JUN AT 18:59
मुझे जो झंझोड़ दे
कुछ तो होगा,
कर दे मुझे जुझारू
कुछ तो होगा,
बाहर नहीं
तो अंदर तो होगा-
20 JUN AT 18:31
सागर मै मिलने की तमन्ना नहीं
तमन्ना सागर बनने की है,
शायद मैं परिचित ही नहीं
सागर के तूफान से
उसके बहाव से
उसकी व्यापकता से
उसकी गहराई से-