उस महफ़िल में प्यास की इज़्ज़त करने वाला होगा कौन:
हम क्या जानें क़िस्सा क्या है हम ठहरे दीवाने लोग
उस बस्ती के बाज़ारों में रोज़ कहें अफ़्साने लोग
यादों से बचना मुश्किल है उन को कैसे समझाएँ
हिज्र के इस सहरा तक हम को आते हैं समझाने लोग
कौन ये जाने दीवाने पर कैसी सख़्त
फिर सहरा से डर लगता है फिर शहरों की याद आई
फिर शायद आने वाले हैं ज़ंजीरें पहनाने लोग हम तो दिल की वीरानी भी दिखलाते शरमाते हैं
हम को दिखलाने आते हैं ज़ेहनों के वीराने लोग
उस महफ़िल में प्यास की इज़्ज़त करने वाला होगा कौन
जिस महफ़िल में तोड़ रहे हों आँखों से पैमाने लोग-
ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,
चौखट एक बाप की ही सूनी होती है !!-
kah rahā hai shor-e-dariyā
se samundar kā sukūt
jis kā jitnā zarf hai utnā
hī vo ḳhāmosh hai-
कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है,
हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा,
नशा ये हिन्दुस्तान का है ||-
सावन की बुंदे टूट टूट कर तुझपर बिखरी है,
कसम से हम भी बिखर गए तुझे देखकर।-
चलता रहूँगा पथ पर,चलने में माहिर बन जाऊँगा,
या तो मंजिल मिल जायेगी याअच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा-
यक़ीन करो मेरा, लाख कोशिशें कर चुका हूँ मैं,
ना सीने की धड़कन रुकती है ना तुम्हारी यादे…!!
हम तो जल गये तेरी मोहब्बत में मोम की तरह,
अगर फिर भी हम बेवफा है तो तेरी वफा को सलाम…!!-
सच्ची ख़ुशी की आस न टूटे
कभी ये दुआ करो मेरे यारों,
झूटी तसल्लियों से बहलते
रहा करो मेरे प्यारों
SK Writer Subhani
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सनम, शबनम और समा चाहिए
अपनो का हो गया अब धोखे के लिए कोई नया चाहिए...
कलम, लफ्ज़ और कागज़ चाहिए
इल्जाम सारे कुबूल पर सुनाने वाला अपना चाहिए,
सजा ए मौत मुकरर की है तो यह ही सही
मुझे दफ्न होने के लिए उनके कदमों की छाप वाला जहां चाहिए।-
संघर्ष जारी है
जीवन और मृत्यु के बीच
संघर्ष जारी है
पाने और खोने के बीच
संघर्ष जारी है
तोड़ने और बचाने के बीच
संघर्ष जारी है
जागने और सोने के बीच
संघर्ष जारी है
खुशी और दुःख के बीच
संघर्ष जारी है
भोजन और भूख के बीच
संघर्ष जारी है
एहसास और अंजान के बीच-