MD Mir Ajnabii   (Wri...मीर अजनबी)
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Joined 25 January 2019


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Joined 25 January 2019
14 SEP 2021 AT 23:13

में अकेला अपने कमरे में कैद रहा ,,
जैसे पंछी पिंजरे में कैद रहा,,

वह आजाद था दुनिया से अंजान होके,,
उसे खबर कहां वह दुनिया में कैद रहा,,

में सफर में निकला था तन्हा ,,
सफर तन्हा मुझ में कैद रहा,,

जिन्दगी इस कदर भटक रही जहां में,,
मौत उम्र भर जिन्दगी में कैद रहा,,

फूल टूट के बिखर जाते है बागो में,,
खुशबू कि मोहब्बत बागों में कैद रहा,,

तख्त पे बैठे है ताज के मोहब्बत वाले,,
ताज कि मोहब्बत तख्त में कैद रहा,,

@___ मीर अजनबी

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19 JUL 2021 AT 22:43

काँटो पे बेहद कसूर आने वाला है,,
एक फूल टूट कर बिखर जाने वाला है,,

खुद को खुद मे समेट लिजिये,,
एक बच्चा मुस्कुराने वाला है,,

@___ मीर अजनबी

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19 JUL 2021 AT 22:37

ख्वाहिशों को सिराहने रख कर,,
सोते है दर्द को थिकाने रख कर,,

जमी को अजमाते है जो हमेशा,,
आसमाँ को थिकाने रख कर,,

@___ मीर अजनबी

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19 JUL 2021 AT 22:18

काँटो पे बेहद कसूर आने वाला है,,
एक फूल टूट कर बिखर जाने वाला है,,

खुद को खुद मे समेट लिजिये,,
एक बच्चा मुस्कुराने वाला है,,


@___ मीर अजनबी

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20 FEB 2021 AT 20:07

एक शख्स की तलाश में निकलना पड़ा मुझे,,
आंधियों में चिराग बन के जलना पड़ा मुझे,,

एक मुद्दत से उसकी चाहत के लिये,,
उसकी मोहब्बत के आगे झुकना पड़ा मुझे,,

@___ मीर अजनबी

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10 OCT 2020 AT 0:09

में ना बोलूंगा तो मेरी खामोशी बोलेगी,,
मेरी एक एक अल्फाज तेरी कहानी बोलेगी,,


@___ मीर अजनबी

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12 SEP 2020 AT 19:43

जिंदगी कब किस के बस में उसका इंतजार तो होता,,
मौत से पहले मेरे महबूब का काश दीदार तो होता,,

एक झलक पाने को उसके एक जमाने से तरसता है "मीर"
रूबरू भी नही काश ख्वाब में भी उसका दिदार तो होता,,

@___ मीर अजनबी

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31 AUG 2020 AT 20:03

मुझको मरना पड़ा उसकी जिंदगी के लिये,,
जो भूख से लड़ रहा था एक रोटी के लिये,,

उसने उसकी गुरबत देखकर उसका साथ छोड़ दिया,,
जो जान कुर्बान कर चुका था उसकी दोस्ती के लिये,,


@__ मीर अजनबी

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11 JUN 2020 AT 18:56

तुम्हारी याद में रोना बहुत जरूरी है,,
हम मर चुके हैं जिंदा होना बहुत जरूरी है,,

अपने गमों में लिपटकर हम सो गए तन्हा ,,
तुम्हारे चेहरे का मुस्कान देखना बहुत जरूरी है,,

बिन बादल के आसमाँ तड़पता चीखता ,,
जमीन की प्यास बुझाना बहुत जरूरी है,,

सितारे फलक से उतर आये हैं जमीं पर,,
तुम्हारे दामन में सजाना बहुत जरूरी है,,

वह मुसाफिर हैं उसका अब कोई ठिकाना नहीं,,
उसे अपनी मंजिल तलक जाना बहुत जरूरी है,,

वह अपनी आरजू अब किससे कहेगा ऐ "मीर"
जुबा कट चुकी है उसकी बोलना बहुत जरूरी है,,

@___मीर अजनबी

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29 MAY 2020 AT 10:20

मैं समंदर का बोझ लेकर चलता हूं,,
लोग दरिया से हार मान जाते हैं,,

@___मीर अजनबी

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