में अकेला अपने कमरे में कैद रहा ,,
जैसे पंछी पिंजरे में कैद रहा,,
वह आजाद था दुनिया से अंजान होके,,
उसे खबर कहां वह दुनिया में कैद रहा,,
में सफर में निकला था तन्हा ,,
सफर तन्हा मुझ में कैद रहा,,
जिन्दगी इस कदर भटक रही जहां में,,
मौत उम्र भर जिन्दगी में कैद रहा,,
फूल टूट के बिखर जाते है बागो में,,
खुशबू कि मोहब्बत बागों में कैद रहा,,
तख्त पे बैठे है ताज के मोहब्बत वाले,,
ताज कि मोहब्बत तख्त में कैद रहा,,
@___ मीर अजनबी-
Khuda ki di hui jindagi ki ,,taarikh,, 25-12-1995
मैं समंदर का बोझ ल... read more
काँटो पे बेहद कसूर आने वाला है,,
एक फूल टूट कर बिखर जाने वाला है,,
खुद को खुद मे समेट लिजिये,,
एक बच्चा मुस्कुराने वाला है,,
@___ मीर अजनबी-
ख्वाहिशों को सिराहने रख कर,,
सोते है दर्द को थिकाने रख कर,,
जमी को अजमाते है जो हमेशा,,
आसमाँ को थिकाने रख कर,,
@___ मीर अजनबी-
काँटो पे बेहद कसूर आने वाला है,,
एक फूल टूट कर बिखर जाने वाला है,,
खुद को खुद मे समेट लिजिये,,
एक बच्चा मुस्कुराने वाला है,,
@___ मीर अजनबी-
एक शख्स की तलाश में निकलना पड़ा मुझे,,
आंधियों में चिराग बन के जलना पड़ा मुझे,,
एक मुद्दत से उसकी चाहत के लिये,,
उसकी मोहब्बत के आगे झुकना पड़ा मुझे,,
@___ मीर अजनबी-
में ना बोलूंगा तो मेरी खामोशी बोलेगी,,
मेरी एक एक अल्फाज तेरी कहानी बोलेगी,,
@___ मीर अजनबी-
जिंदगी कब किस के बस में उसका इंतजार तो होता,,
मौत से पहले मेरे महबूब का काश दीदार तो होता,,
एक झलक पाने को उसके एक जमाने से तरसता है "मीर"
रूबरू भी नही काश ख्वाब में भी उसका दिदार तो होता,,
@___ मीर अजनबी-
मुझको मरना पड़ा उसकी जिंदगी के लिये,,
जो भूख से लड़ रहा था एक रोटी के लिये,,
उसने उसकी गुरबत देखकर उसका साथ छोड़ दिया,,
जो जान कुर्बान कर चुका था उसकी दोस्ती के लिये,,
@__ मीर अजनबी-
तुम्हारी याद में रोना बहुत जरूरी है,,
हम मर चुके हैं जिंदा होना बहुत जरूरी है,,
अपने गमों में लिपटकर हम सो गए तन्हा ,,
तुम्हारे चेहरे का मुस्कान देखना बहुत जरूरी है,,
बिन बादल के आसमाँ तड़पता चीखता ,,
जमीन की प्यास बुझाना बहुत जरूरी है,,
सितारे फलक से उतर आये हैं जमीं पर,,
तुम्हारे दामन में सजाना बहुत जरूरी है,,
वह मुसाफिर हैं उसका अब कोई ठिकाना नहीं,,
उसे अपनी मंजिल तलक जाना बहुत जरूरी है,,
वह अपनी आरजू अब किससे कहेगा ऐ "मीर"
जुबा कट चुकी है उसकी बोलना बहुत जरूरी है,,
@___मीर अजनबी-
मैं समंदर का बोझ लेकर चलता हूं,,
लोग दरिया से हार मान जाते हैं,,
@___मीर अजनबी-