MD Mahiwal   (Saheb ki kalam)
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Joined 21 October 2021


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Joined 21 October 2021
4 OCT 2024 AT 15:35

तेरे चले जाने को मैंने
इस तरह स्वीकार किया,
जैसे जन्म के बाद
एक दिन मृत्यु निश्चित है।
अपने प्रेम के अस्तित्व को
इस तरह खामोश होने दिया ,
जैसे मंजिल पाने के बाद
राहगीर शांत हो जाता है।

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22 SEP 2024 AT 22:02

जिंदगी के हो रहे दिन कम,
ख्वाब हमारे रुठ गए है गम।
अब कोई साथ हो या ना हो,
होसलें में फिर भी रहेगा दम।।

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21 SEP 2024 AT 16:47

कमी से तुझमें वो भी मान लो,
भीड़ से निकल खुद को जान लो।
वजूद नहीं तेरा जमाने भर से,
पहले खुद को तुम तराश लो ।।

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17 SEP 2024 AT 11:01

भविष्य का एक पन्ना तेरे नाम लिख दूं,
यादें तमाम और कुछ ख्वाब भी लिख दूं।
तेरी माथे की बिदीं को भी चांद लिख दूं,
जिंदगी के संघर्ष को भी तोहफा लिख दूं।।

मेहरबानी रहे तो साहेब मैं उसे एक नाम दूं,
मंजिल के रास्तों का एक पैगाम भी लिख दूं।
बेनाम गुज़रे रातों का अहसास भी लिख दूं,
उसके दिल के दरवाजे का राज भी लिख दूं।।


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9 SEP 2024 AT 21:13

इश्क़ किया है तो इज़हार जरूरी है,
वक्त दिया है तो इंतजार जरूरी है!
सफलता चाहिए है संघर्ष जरूरी है,
जिंदगी है तो जीना भी जरूरी है!!
एहसास है तो मुलाकात जरूरी है,
साहेब चाहिए तो एतबार जरूरी है!!

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8 SEP 2024 AT 22:41

तेरे जाने के बाद तेरी यादें मेरे संग है!
मेरे खाली दिल में अब ना कोई रंग है!!
महज ख्वाब देखनाआखिरी छोर नहीं है!
मैं खुश हूं तो क्या मुझे कोई गम नहीं है!!
साहेब जिस्म चलना महज जिंदगी होती है!
अगर जिन्दा हो तो विरोधी भी होती है!!

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6 SEP 2024 AT 18:02

तुम दूर होकर भी पास हो मेरे,
सच कहूं तुम्हें दिल याद करता है!
तुम ख्वाब होकर खास हो मेरे,
फिर भी वो क्यों जिद करता है!!
हर बार हारकर भी वजूद मेरा,
तेरा आज भी इंतजार करता है!
कभी नौकरी तो कभी घर मेरा,
कभी उम्रभर की भूख होता है!!
नाम तो दिया मुझे खुदा ने मेरे,
पर जमाने में भी कमाना होता है!
जूनुन सुलगता ख्वाब में मेरे,
तो नींद उचटना जरूरी होता है!!

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5 SEP 2024 AT 8:52

कोरे कागज -सा ...
एक किरदार था जिंदगी में मेरा,
और तुम आए ज़िन्दगी में ...
मेरा मैं वजूद ही निखरता गया!!

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4 SEP 2024 AT 22:12

ख्वाहिशें बनी एक ख्वाब सिर्फ तुमसे,
तुम मुझसे और मैं बना सिर्फ ही तुझसे!
जैसे चांद खुबसूरत हो चांदनी से,
वैसे सूरज हूं मैं एक जलती रोशनी से!!
शिकायत करो या नाराज रहो हमसे,
पास रहो और भले बात ना करो हमसे!
साहेब वो ताउम्र शुक्रगुजार रहेगी मुझसे,
पास कोई रहे पर जिक्र मेरा होगा उससे!!

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1 SEP 2024 AT 10:57

इश्क़ और उम्र के बीच
एक बड़ा फासला मिला है!
किसी को इश्क़ उम्र पर,
किसी को बाद में मिला है!!
इश्क़ उम्र से पहले,
सिर्फ लगाव -सा मिला है!
एक उम्र के बाद,
वो सिर्फ दांव - सा लगा है!!
कभी उम्रभर,
जिंदगी में मरहम -सा लगा है!
तो कभी उम्रभर,
साहेब एक घाव -सा लगा है!!

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