Md Firdaos   (firdaos bagwee)
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Joined 14 May 2020


Joined 14 May 2020
18 JAN AT 21:40

दिल से यही गुज़ारिश है, ना धड़के तेरे बिना।
सांसों से यही इल्तज़ा है,ना चले तेरे बिना।
पूरे जिस्म पर काबिज़ तो तुम हो ही।
अब मेरे रूह भी तेरे कब्ज में है।

Dil se yhi Gujarish hai,Na Dharke Tere Bina
Sanso Se yhi iltija Hai,Na Chale Tere Bina .
Pure Zissm Per Kabij To Tum Ho Hi .
Ab Mere Ruh Bhi Tere Kabj Me Hai.

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4 APR 2022 AT 12:40

गुरबत तो थी बहुत
पर दिखता न था
दिल भी बहुत दुखता था
पर कोई समझता न था

बाद में सब कहते तो है कि
हम से कहते
पर जब - जब कहना चाहा
कोई सुनता न

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8 FEB 2021 AT 16:22

काश ये आप की आवाज की दुकान होती।
जिसमे मेरी जनो पहचान होती।
खरीद लेता मै इस हुस्ने आवाज को।
चाहे कीमत मेरी जान होती।

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2 FEB 2021 AT 15:52

ऐतेबार है तुझपे दिल थाम के बैठा हूं।
कब आएगी मेरी जिंदगी में इंतजार में बैठा हूं।
हर लम्हा तो यूं ही गुजर जाता है।
क्या मेरी तकदीर ही खराब है ये सोच में बैठा हूं।

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18 JAN 2021 AT 16:26

दौलत है तो तुम्हे अपना कहने वाला बहुत होगा।
खुशी में साथ देने वाला भी बहुत होगा। तंगदस्ती भी क्या है अपना भी बेगाना समझता है।
बहता हुआ आंसू को पोछने वाला भी न होगा।

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17 JAN 2021 AT 17:20

अपनी मोहब्बत का खूबसूरत दास्ता लिखा रहा हूं ।
बेकरारी रहती थी तुमसे मिलने को,
वो हर पल लिख रहा हूं।
मरता था इस चांद से टुकड़े पर,
हर वो दुखड़ा लिख रहा हूं ।
दिल के कोरे कागज पर,
हर गुजरे हुए लम्हे लिख रहा हूं ।

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15 JAN 2021 AT 14:06

हर दुआ में खुदा से मुल्के हिफाजत मांगता हूं।
हर सजदे में वीर की सलामती मांगता हूं।
खुद के लिए तो दुआ सब दुआ मांगते हैं।
वीर शहीद के लिए जन्नतुल फ़िरदौस मांगता हूं।

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11 JAN 2021 AT 16:44

काला चश्मा पहन रखे हो तुम
दिन को भी रात बताते हो
इश्क का लिबास पहन रखे हो तुम
शराब को भी जमजम बताते हो
ऐसी नादानी मत कर तू इश्क में
हर ख्वाब को भी हकीकत बताते हो

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11 JAN 2021 AT 15:18

काला चश्मा पहन रखे हो तुम,
दिन को भी रात बताते हो।
इश्क का लिबास पहन रखे हो तुम,
शराब को भी जमजम बताते हो।
ऐसी नादानी मत कर तू इश्क में,
हर ख्वाब को भी हकीकत बताते हो।


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10 JAN 2021 AT 11:22

मत जा बेवफा मुझे इस कदर छोड़ कर।
अश्क भी लहू बन कर बहता है।
दिल तो जख्मी करके गई थी तुम,
अब जिस्म भी जख्मी है।
कुदरत का भी अजीब करिश्मा है।
रूह भी बेवफा कर रही है,
अपनी जख्मी जिस्म से।
अब रूह भी जाने को कहती है।

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