"कालिदास! सच-सच बतलाना !
इंदुमती के मृत्यु शोक से
अज रोया या तुम रोये थे ?
कालिदास! सच-सच बतलान..."
"पर पीड़ा से पूर-पूर हो
थक-थक कर और चूर-चूर हो
अमल-धवल गिरि के शिखरों पर
प्रियवर! तुम कब तक सोये थे?
रोया यक्ष या तुम रोये थे?
कालिदास! सच-सच बतलाना !"
' नागार्जुन '- Md Ashique
13 MAR 2018 AT 17:42