Mayuri Shah   (Mayuri Shah)
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https://youtube.com/@mayurishah4898?si=TZGx2L0pIJA0nchF
Joined 17 June 2020


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Joined 17 June 2020
23 JUN AT 17:10

फ़िसलती रही मुश्किल से
संभाली ये मासूम घड़ी,
ढलती शाम हू-ब-हू मेरी
उम्मीदों सी मालूम पड़ी ।

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10 JUN AT 19:34

चलो आज चाय पर थोड़ी बहुत चर्चा हो जाए,
बहुत दबा रखे है एहसास, कुछ खर्चा हो जाए,
कुछ तुम अपनी कहना, कुछ हम भी सुनाएंगे,
चाय के बहाने, मशहूर दिल का पर्चा हो जाए ।

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9 JUN AT 18:33

घर तो है दो - दो मेरे, फ़क़त कहने को,
एक भी तो मेरा नहीं, सुकूँ से रहने को,
मौत भी है जो मुझे पहलू में सुलाती नहीं,
और आँसू आ बैठा पलकों पर बहने को।

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9 JUN AT 16:29

कुछ लोग यहाँ, ज़माने के साथ चला नहीं करते,
वक़्त की मांग पर भी ख़ुदको वो बदला नहीं करते,
दिल पर हाथ रख कर उनको समझने चली थी मैं,
यकीं तब हुआ जब जाना पत्थर पिघला नहीं करते।

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8 JUN AT 21:30

अक्सर ख़याल आता है,
बारहा सवाल आता है,
कुछ बातें जहन में यूँ बसी
कि जीने पे मलाल आता है।

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28 MAY AT 0:12

सुनो.... अपने दर्द की हम एक क़िताब रखेंगे,
अपने मुताबिक हम ज़िंदगी का निसाब रखेंगे,

चलो, तुम बेशक खुरेच लेना, हर्फ़-दर-हर्फ़ हमें,
अब से हम भी दर्द-ओ-ग़म का हिसाब रखेंगे !!

तुम बेशक निकाल लेना ख़ामियां ढेरों हम में,
हम भी अपनी काबिलियत का ख़िताब रखेंगे!!

जब तुम कहोगे किया ही क्या है तुम्हारे लिए,
एक - एक कर के हम भी सारे जवाब रखेंगे !!

तुम रख लेना मग़रूरियत अपनी, पास अपने,
हम भी अब बदला सा अपना मिज़ाज रखेंगे!!

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24 MAY AT 23:34

सुनो....
तुम जितना बांधोगे मुझे
उतनी ही टूटेगी ये डोर,
प्रेम और विश्वास की ।

मेरे पंख कुतरने से केवल
तुम तन को रोक सकते हो,
मन को रोकना संभव नहीं ।

क्योंकि....
यदि मेरे मन का रोका तो
ये तन की मृत्यु से अधिक
भयावह होगा ।

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24 MAY AT 23:14

मेरे घर के सभी,
दरवाज़े - खिड़कियों
के साथ - साथ, मैंने
मन पर भी लगा दिए,
पर्दे....हाँ, हाँ पर्दे....!!
क्योंकि....
नहीं पसंद मुझे
कोई झाँके भीतर और आँके
छवि, अस्तित्व, स्वभाव मेरा
बिना मेरे स्थान पर
स्वयं को रखकर....!!

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23 MAY AT 21:22

यूँ न दे जख़्म पर ज़ख़्म बेहिसाब, बीमार मैं भी हूँ
इलाज -ए- दर्द -ए- दिल का हक़दार मैं भी हूँ !!

झूठे वादों की सियाही से दिल पर निशान गहरे,
शिफ़ा मिले ग़र निभा ले तो, तलबगार मैं भी हूँ !!

अब उठाया नहीं जाता बोझ इस दर्द-ए-दिल का,
सच तो इश्क़ -ओ -उल्फ़त का शिकार मैं भी हूँ !!

ये बीमार - सा दिल भी तन्हा जीएगा कब तलक,
जी हुजूरी अब होती नहीं, थोड़ा खुद्दार मैं भी हूँ !!

इस दिल की बीमारी मौत तक ले आई है मुझको,
बची हैं कुछ साँसें फ़क़त, उम्दा किरदार मैं भी हूँ !!

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22 MAY AT 16:08

'ख़ुद के फ़ैसले' हम ख़ुद लिया करते हैं,
ज़िंदगी के हर दर्द को हम पिया करते हैं ।

दौलत -ओ- शोहरत की हमें चाह ही नहीं,
हम तो बस सच को ही जिया करते हैं ।

बुरे वक़्त की आँधी में भी हम टिके रहते,
हम वो दीप हैं जो रोशनी दिया करते हैं ।

मंज़िलों की परवाह नहीं, राहों से इश्क़ है,
हर क़दम नया हौसला दर्ज़ किया करते हैं।

हम कलाकार अपनी ज़िंदगी ख़ुद तराशते है,
फटी किस्मत अपने हाथों हम सिया करते हैं ।

जीत का जश्न भी, हार पर सोच - विचार भी,
ख़ुद के फ़ैसले का श्रेय ख़ुद को दिया करते हैं।

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