तेरी ये सादगी ही तेरा ज़ेवर है, जिससे तेरी रूह सँवरती है,
पहनकर इस ज़ेवर को,बिन गजरे-कजरे ही तू निखरती है!!
दो पल की है जिस्म की खुबसूरती, एक दिन ढल जाएगी,
सच तो ये तेरे क़िरदार की ख़ुशबू ही जहाँ में बिखरती है !!
बिन सादगी श्रृंगार फ़िका, और फ़िका बनावटी दिखावापन,
सादगी की ये पहचान कि भीड़ में अलग तस्वीर उभरती है !!
सरलता से संभलते रिश्ते, खुशियाँ आँचल में भर जाती है,
तभी तो ये सादगी ही मुस्कान बन कर लबों पर ठहरती है !!
बेकार ही है इस जिस्म की खुबसूरती को यूँ तवज्जो देना,
जब सादगी के ज़ेवर को ही दुनिया दिल से पसंद करती है !!
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