अक्सर उम्र में, बड़े लोग,
छोटी उम्रबालों पर, अपनी धौंस जताकर,
उनसे ये उम्मीद रखते है कि,
वो आदर्श बनकर, तमीज और लिहाज़ से, बात करें।-
ત્યારે એ જ સાથે હોય છે. - સ્વ.
किसी से ज्यादा उम्मीद मत रखो,
जिस को आप से रिश्ता निभाना होगा,
वो किसी भी हाल में, आप से रिश्ता नहीं तोड़ेगा और
जिसे आप से रिश्ता नहीं निभाना होगा,
वो किसी भी हाल में,
आप से रिश्ता तोड़कर चला जाएगा।-
इस दुनिया में,
अकेले ही आए थे और
कुछ लिए बिना ही,
अकेले वहां जाना है।-
ज़हन में गुरुर छा जाता है,
लहज़े में अकड़ आ जाती है,
और दिल पत्थर का हो जाता है,
जब खानदानी संपति में,
अपना और दूसरों का हिस्सा,
गलत तरीके से छीन लेने का बदइरादा,
जब पक्का होता है,
तब वो भाई, भाई नहीं रहता।
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शायरों को शायरियां लिखने के लिए,
लफ्ज़ सोचने की जरूरत नहीं होती,
क्योंकि, उन्हें लोगों की सोच के बारें में,
अच्छी तरह से पता होता है।-
किसी के नापसंद करने से,
अब मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
क्योंकि, मैंने भी लोगों को,
चुटकियों में, कई बार, अपना रंग बदलते देखा है।-
जब उम्र में बड़े लोगों को,
छोटी उमरवालों की,
बेइज्जती करने की हद से ज्यादा,
आदत जब बढ़ने लगती है,
तब छोटी उम्रवालें के,
मन में, अपने बड़ों का,
अपने मन के अंदर ही,
उनके प्रति कदर और सम्मान, कम होने लगता है।
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अक्सर दूसरों के घर में,
आग वही लगाने आते है,
जिनके मन में,
आग के अंगारे, जल रहे होते है।-
जिसका घमंड हद से ज्यादा,
बढ़ा हुआ होता है,
उन्हें ना तो अपनों की भावनाएँ
दिखाई देती है न फिक्र,
दिखाई देता है तो बस,
सिर्फ़ और सिर्फ़ अपना महत्व!-