अपने दुख दर्द सुनाने को हम कहां जाएं
अपने जज़्बात छुपाने को हम कहां जायें
भीड़ अब रास नहीं आती है तन्हा दिल को
खुद को तन्हाई मिलाने को हम कहां जायें
अपने दिल की में शिकायत करूं भला किससे
खुद पे इल्ज़ाम लगाने को हम कहां जायें
वक्त घबराए है मेरे करीब आने से
खुद को मेहमान बनाने को हम कहां जायें
कल के गुजरे हुए ख्वाबों को करिश्मा कहिए
उनके अंजाम बताने को हम कहां जायें
मारकर पत्थरों से चाहे जितने जख्म करो
दिल को पत्थर का बनाने को हम कहां जाएं
अपनी पाकीज़गी पे क्यों हम गुमान करे
खुद पे एहसान जताने को हम कहां जायें-
है चारो तरफ सभी अपने,
है पर अपना कोई नहीं।
दिखावा सिर्फ और सिर्फ दिखावा,
और क्या बात है......
और क्या बात है,
दिखावे मे पूरी दुनिया कायम है।-
जो हो गई देर कहने मे,
अर्थ तो कई होगे
किन्तु भाव मिथ्या हो जायेगें।-
अपने हमदर्दों के दर्द बाटने अभी बाकी है।
मत खोना हौसले जिंदगी मे कई दर्द अभी बाकी है।
हर हार से हर हाल मे जीतना अभी बाकी है।
मंजिल पाके उसे गले लगाना अभी बाकी है।
जीतकर बदले रिश्तों के बदले चेहरे देखना अभी बाकी है।
इसी जिंदगी से बहुत कुछ सीखना अभी बाकी है।
जिंदगी को अपनी मुस्कान देना अभी बाकी है।
जिंदगी से अपनी मोहब्बत करना अभी बाकी है।
कई मिसाले तुम्हे लिखना अभी बाकी है।-
ये कहना तुम्हारा के मैं बहुत खुद्गर्ज हूँ,
अब तुम्हीं कहो मैं कैसे तुम्हें झुठला दू ।-
ज्यादा था न कम था ,
जो भी बचा वो जरूरी न था ।
कल था न आज था,
जो भी कहो वो अपना न था ।
अच्छा था न बुरा था ,
जो भी हो वो सपना न था ।
सच्चा था न झूठा था ,
जो भी था वो रिश्ता न था ।-
यारों अब तो दोस्ती नफ़ा और नुकसान हो गयी,
सिर्फ़ जरूरत का सामान हो गयी,
जैसी जरूरत वैसा अंजाम हो गयी।-
वो जिंदगी में शामिल हो गयी हैं ,
उस शायरी की तरह न मिटाई जाती हैं ,
न गुनगुनाई जाती हैं ।-
#माँ #
उसकी चाहत का एहसास है मुझे,
कि किसी और की चाहत महसूस नहीं होती मुझे।
दर्द के दर्द को महसूस नहीं होने देती मुझे,
बलाओ से महफूज रखती हैं उसकी दुआएँ मुझे।-
इतने अश्क बहाती है हर रोज ये आंखे,आज देखूंगा कौन सा समुन्द्र है इसमें गहरा 😐
-