Mayuri Chude   (Mayuri (Tina))
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Joined 5 May 2021


Joined 5 May 2021
3 SEP AT 16:55

जब लिखने बैठी तो ग़म भूल बैठी,
ग़म याद आए तो कलम भूल बैठी।
आंसू दिख रहे थे गिरते हुए,
गिले पलक़ों से राज़ पूछना भूल बैठी।
याद आया यार, उसके बाद प्यार,
करना चाहती थी सनम का दीदार।
दिल में हुई भारी सी चुभन,
और फिर क्या कहें,
देखा आईना तो खुद को भूल बैठी।

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15 JUL AT 22:27

जैसे-जैसे सुरज ढलता, शाम की चादर चमक उठती,
वैसे-वैसे अँधेरे की सर्द साँसे दिल में उतरती।

खुद की परछाई संग जब खामोशी का हो मिलन,
किसी और से उम्मीद रखना बस एक मीठी छलकन।

आँखें बंद कर सुनो, भीतर की तन्हाई की पुकार,
ना उजाले की तलाश, ये खामोश दर्द ही मेरा संसार।

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15 JUL AT 22:26

जैसे-जैसे सुरज ढलता, शाम की चादर चमक उठती,
वैसे-वैसे अँधेरे की सर्द साँसे दिल में उतरती।

खुद की परछाई संग जब खामोशी का हो मिलन,
किसी और से उम्मीद रखना बस एक मीठी छलकन।

आँखें बंद कर सुनो, भीतर की तन्हाई की पुकार,
ना उजाले की तलाश, ये खामोश दर्द ही मेरा संसार।

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15 JUL AT 22:25

जैसे-जैसे सुरज ढलता, शाम की चादर चमक उठती,
वैसे-वैसे अँधेरे की सर्द साँसे दिल में उतरती।

खुद की परछाई संग जब खामोशी का हो मिलन,
किसी और से उम्मीद रखना बस एक मीठी छलकन।

आँखें बंद कर सुनो, भीतर की तन्हाई की पुकार,
ना उजाले की तलाश, ये खामोश दर्द ही मेरा संसार।

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6 JUL AT 9:23

🌼 “विठ्ठल भक्तासाठी” 🌼
काय सांगू महिमा त्याचा, देहभान तो विसरला,
विटेवरती उभा राहिला, भक्तपाशी झुकुन गेला॥
न गर्वाचा अभिमान, न घोषाचा तो गवगवा,
पुंडलिकाच्या प्रेमासाठी, पांडुरंग होतो स्थिरवा॥
आईबापाची सेवा पाहून, दाटले त्याचे लोचन,
भक्तासाठी वाट पाहतो, विसरतो देवत्वाचे चिंतन॥
"राहीन इथेच वाट पाहीन", असा घेतला निर्धार,
स्वतःचा विसरूनी देव, झाला भक्ताचा आधार॥
रुक्मिणी आली द्वारकातून, पाहिले विठोबा उभा,
प्रेमभावना पाहून तयाच्या, तिचा मनही गेला नवा॥
सोडून आली सुख वैकुंठाचे, उभी राहिली त्याजवळी,
भक्तासाठी स्त्रीही झाली, समर्पणाची ती ओळख खरी॥
उभे राहती देवदांपत्य, विटेवरती अजून आज,
भक्तासाठी ठेवितात ते, श्रद्धा आणि प्रेमराज॥
शिकवतो तो विठ्ठल सदा, भक्तीतच खरा आधार,
सेवा, त्याग, नि समर्पण, हाच भक्तीचा मार्ग फार॥

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25 JUN AT 0:05

If you seek true peace and joy in life, then let the silence of night witness your tears. Dampen your pillow with your sorrow, and let those tears wash away the pain in your heart. When the first golden rays of dawn gently touch your face, a new hope and a gentle smile will arise within you. That smile is a blessing from the Divine, infusing your spirit with renewed energy and unwavering faith.

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13 JUN AT 11:50

“A uniform without truth is cloth.
A system without justice is paper.
But a daughter with purpose… is power.”

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12 JUN AT 9:17

जब ढूंढा था राह-ए-ख़्वाब में,
जलते तारे भी यादों की आग में धधक गए।

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12 JUN AT 9:10

रास्ता था ढूंढने को, पर मंज़िल शहर-ए-ख़्वाब में खो गई,
दिल की बात सुननी थी, पर आवाज़-ए-आत्मा कहीं दब गई

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10 JUN AT 11:55

सावित्रीच्या सत्यव्रता, चरणी नतमस्तक धरा,
पतिव्रतेच्या तेजसाने, पळले यमाचे भर!
“धर्मः स नः पथः” म्हणती, सत्याचं असो व्रत,
सात जन्मांचा धागा, धरुनी जगते भक्त.

वटवृक्षी साक्ष देवांची, मूळ ब्रह्मा, खोड हरि,
शाखांमध्ये रुद्र बसती, पूजा करी स्त्री नारी।
“दीर्घायुष्मान् भव” म्हणुनी, मनाशी घाले मंत्र,
कांती सावित्रीसारखी, तेजोमयी तिला तंत्र!

उपवास, ओवाळी, फेरे, सात जन्मांचे वचन,
हात जोडूनी देवीस, मागते सुहागाचं धन।
“सपत्नीकं च मे जीवितं”, हीच तिची प्रार्थना,
पतीचं असो रक्षण, तिच्या श्रद्धेची याचना।

नारी ही शक्ती सृष्टीची, सावित्री ती मूर्तिमंत,
न फक्त सौंदर्य, तर तीच ज्ञानाची ओजस्वी छंत।
धैर्य, भक्ती, समर्पण, हेच तिचं अलंकार,
वटसावित्री हा सण, नात्यांचं दिव्य स्तोत्रभार।

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