Mayassar   (मयस्सर)
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Joined 23 August 2017


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31 MAR AT 19:51

सबने देखा है,
इस मौसम का कड़वापन।
पर,
मैंने देखा हैं सौंदर्य।
मैं ने पाया,
सेमल को खिलता हुआ,
आम को फलता हुआ ,
गेहूँ की बालियों को पकता हुआ,
नीम को सफेद फूलों से लदता हुआ
अमलतास को सुनहरा होता हुआ,
गुलमोहर को खूबसूरती से भरता हुआ
और देखा है
परिंदों को उड़ता हुआ स्वछंद नभ में
और कहते हुए सुना हैं
हे प्रकृति !
धन्यवाद तुमको।

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15 MAR AT 1:26

है रोशन करती इस फ़िज़ा को, ये कुदरत एक शम'-साज़ हैं
कमाल की नक्काशी है बहार में, ये वसन्त कोई रंग साज़ हैं

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22 JAN AT 18:54

औरत
नासमझ के लिए जिस्म
अकलमंद के लिए रूह

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21 JAN AT 3:58

कोई एक शख़्स तो यूं मिलें
कि वो मिलें तो सुकून मिलें

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21 JAN AT 1:32

मेरे इश्क़ को मेरे खुदा ने कुछ यूं अजब अजूबा कर दिया
मेरे सबसे प्यारे इंसान को मेरा सबसे बुरा तजुर्बा कर दिया

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20 JAN AT 0:20

फूल है, किताब है, मुजून सा है
इस जगह में हाय! सुकून सा है

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19 JAN AT 19:10

जिस से कभी इश्क़ था अब उस से वो निस्बत नही है
ना तो पहले सा दिल है, अब पहले सी तबियत नही है

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17 JAN AT 20:14

अक्सर खामोशी से दिए गए जवाब काफ़ी देर तक गूंजा करते हैं।

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17 JAN AT 10:19

लम्बी यात्राएं हमसे अक्सर उन लोगों को छीन लेती हैं जिन्हें हम छोड़ना नहीं चाहते ।

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17 JAN AT 9:48

तू लाख अपना कहें मुझे, पर तू कौन है मेरा
तेरी सौ बातों पर भारी एक अकेला मौन है मेरा

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