कौन कहता है अलग अलग रहते है हमतुम,,
हमारी यादों के सफ़र में हमसफ़र हो तुम..-
तकलीफ़ ये नहीं,के तुम्हें अज़ीज़ कोई और है,
दर्द तब हुआ,जब हम नज़रअन्दाज़ किए गए…-
मेरे दिल से खेल तो रहे हो ।
अरे रे रे रे
मगर जरा संभल कर
तोड़ा स टूटा हुआ हैं ।
कहीं तुम्हे लग न जाये ।।-
हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो,
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो।-
राह चलते तो हजारों मुसाफिर मिलते हैं,
ज़िन्दगी में तो कई मुसाफिर अपने बनते हैं,
अपनों और गैरों में भी बहुत फर्क होता है,
कुछ पास होके भी दूर हैं,
कुछ दूर होके भी दिल के सबसे करीब हैं।-
ख्वाहिश तो थी मिलने की
पर कभी कोशिश नहीं की,
सोचा जब खुदा माना है उसको
तो बिन देखे ही पूजेंगे।-
उन्हें हमसे शिकायत हैं कि हम किसी का इंतज़ार नहीं करते ।
पर उन्हें क्या पता एक वक्त हुम् सिर्फ उनके लिए ठहरा करते थे ।
पर जब हम उनका इंतेज़ार करते वो लापरवाही से छोर दिया करते ।
फिर न जाने क्यों मुझसे ही बैर रखते। ।
उनके सभी वक़्तों की संगिनी सिर्फ मैं होती ।
फिर क्यों मुझे ही बुरा कह कर वे ताल जाते ।।
किसी को मेरे न होने पर रोते देखा हैं ।
तो किसी को मुझमें बिताये सभी लम्हों को याद करते देखा हैं ।
किसी की ज़िंदगी में में बहुत जल्द बीत जाती ।
तो किसी की जिंदगी ही मुझमें बीत जाती ।
किसी को मैंने अपनाते देखा हैं ।
तो किसी को मैंने मुझे ही ठुकराते भी देखा हैं ।।
में चलती रही तुम्हारे ही साथ ।
तुम्हारी साथी बन कर ।
फर्क बस दो लम्हों का हैं ।
में तो वक़्त हु,
कोई मुझमें आबाद हो जाता है ।
तो कोई मुझसे ही बर्बाद ।।
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उल्फत-ए-यार में खुदा से और माँगू क्या,
ये दुआ है कि तू दुआओं का मोहताज न हो।..-
हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर;
दिल से गुज़री हैं सितारों की बारातें अक्सर;
और कौन है जो मुझको तसल्ली देता;
हाथ रख देती हैं दिल पर तेरी बातें अक्सर।....-
काश क़िस्मत भी मेरी तेरी ज़ुल्फ़ों के जेसी होती, जब जब बिखरतीं तुम अपने हाथो से सँवार देते..
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