Mayank Saxena   (Mayank Saxena)
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Love yourself at any cost....
Joined 16 April 2020


Love yourself at any cost....
Joined 16 April 2020
5 DEC 2024 AT 5:09

कुछ अधूरी ख्वाहिशों का पूरा सा समंदर हूँ,
में ख़ुद से ख़फ़ा ज़िन्दगी से बिछड़ता हुआ दिसंबर हूँ ।।

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10 AUG 2024 AT 0:41

आँखों में नींद जितनी कम हैं, दिल में गम उतना ज़्यादा है,
किसी के साथ जीने की तमन्ना थी, अब मरने का इरादा है,
पर मौत भी कहाँ मुझ बदनसीब को
ज़िंदा लाश का मतलब ही है चंद सांसे
अभी मरने से पहले एक मौत मरना है मुझे, जलने से पहले एक बार और जल के जाना है,

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8 AUG 2024 AT 23:20

लंबी दूरी के रिश्ते….

दो अजनबी मिलते है एक सहर में एक शहर मैं,
नंबर बदले जाते हैं उन्में बातें होती हैं रोज़ मुलाक़ातें होती हैं,
एक दिन कुछ यूँ होता हैं दोनों का रिश्ता अपना शहर बदलता है और फिर दोनों में लंबी दूरी का रिश्ता बनता है,
अब मुलाक़ातें सिमट जाती है बातें भी समय बताती है, शक बढ़ता है झगड़ा बढ़ता है दोनों के अंदर ही अंदर कुछ तो जलता हैं,
एक तड़पता है एक तड़पाता है कम प्यार ज़्यादा प्यार को रुलाता हैं,
फिर इग्नोर का भी एक दोर आता है कम प्यार सुकून में है ज़्यादा प्यार सुकून को खोजते खोजते कही खो सा जाता है।
और अंत में टूटना मुक़द्दर है ज़्यादा प्यार का, वो ज़्यादा प्यार अपने प्यार को जब कॉल लगाता है तो बदले में इग्नोरेंस ही पाता है।
बड़े मुश्किल है ये प्यार के रिश्ते, लंबी दूरी वाले यार के रिश्ते इनमे जो पड़ा सच में

मर ही जाता है।।।

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16 JUN 2024 AT 17:35

बस ये दो चार दुश्मन है मेरे जो आज़माते है मुझे,
पर बताओ इन बेबकूफ़ो को की तारो के टूटने से कहाँ असमाँ झुका हैं।।।।

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11 FEB 2024 AT 0:59

Je wo puchya menu tenu ki chaida ae,
Te me dasya soniyee menu tera hasda chehra chaida ae,,,
Ae gullab gullub phool bekar de ne, Menu ta mere chan te, Sitareyan da pehra chaida ae,,,
Tu hasdi rave, Khush rave, Aabad rave, Jithe vi rave, mere naal rave,,,
Menu roshan teri har raat, har saver te har dopehara chaida ae,,,
Main kithe suneya si ke waqt to kimti tohfa ni kucch hunda,
Te bas fer jaan, Raja nu tere naal mohabbat da ik pal gehra chaida ae.

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17 JAN 2024 AT 23:00

तकब्बुर था के वफ़ा थी उनको शायद
“दरकार-ऐ-आदत बेवफ़ाई”
हमारी थीं,
तारीफ़े थी जेबा उनको, बोह्तान जीतने थे हमारे थें,
खूलूस कुछ यूँ है कील्क से लिख दिया ख़ुद को पशेमान,
खसारा जो था उनका था, नफ़ा सारे हमारे थें,
कर दिया क़ैद उनको इन जमाने की ज़ंज़ीरो में, आज़ादी के चाबुक ने किये जीतने ज़ख़्म सब हमारे थे।
तारीफ़े थी जेबा उनको, बोह्तान जीतने थे हमारे थें,

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16 JAN 2024 AT 11:00

एक इबादत और कर लूँ तेरी,
के शायद कल मौका ना रहें,
शायद में ना रहूँ, शायद तू ना रहें,
रहेगा ये जमाना यहीं के
शायद हम दोनों ना रहें।

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23 OCT 2023 AT 0:23

मुझे नहीं पता कि आपको किस तरह का “मैं” पसंद हूं,
मेरे लिए तो इतना ही काफी है कि आपको “मैं” पसंद हूं।

मुझमें है मेरे ”मैं” कई, कुछ बुरे कुछ अच्छे “मैं” कई,
आपको मुझमें जो भी “मैं” पसंद हूं,
मेरे लिए तो इतना ही काफी है कि आपको “मैं” पसंद हूं।

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20 JUL 2022 AT 22:39

मौसम सी हैं मेरी ज़िंदगी में परेशानियाँ॥। बदल बदल कर आती हैं॥॥।

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20 JUL 2022 AT 22:29

के सुनो अगर वजह तुम हो तो मौत भी प्यारी हैं,
तुम्हारे बिना तो इस ज़िंदगी से भी दुश्मनी हैं॥

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