mayank rav   (Rav ki kalam se ✍️)
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अवतरण दिवस 12 जुलाई 🎂🍡

Athlete 🦍
Joined 17 October 2022


अवतरण दिवस 12 जुलाई 🎂🍡

Athlete 🦍
Joined 17 October 2022
9 HOURS AGO

वो लड़का जो जीवन के हर लम्हे का लुत्फ़ उठाता है,
उसकी मित्रता को तो मयंक भी शुक्रगुजार बताता है।

मेरे ऑनलाइन बहुत से रिश्ते बन गए जाने अनजाने,
दोस्ती की बात हो तो सर्वप्रथम तुम्हारा नाम आता है।

डर था मुझ क्रोधी संग कैसे चलेगा हंसमुख स्वभाव,
लेकिन यार इतना सरल की हर सांचे में ढल जाता है।

इतने लम्हात गुजरे संग लेकिन कभी परेशान न दिखा,
उसकी खासियत है वो तो मायूसी में भी मुस्कुराता है।

मेरे मन में उठते हैं अलग अलग विचार हर समय तब,
वही तो मन की शांति के लिए उत्तर खोज के लाता है।

आपके आलसी प्रकृति से तो सभी दोस्त परिचित हैं,
लेकिन चैटिंग में तो एनर्जी वाला रूप नजर आता है।

आपके जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय मित्र,
ये स्वभाव आपके व्यक्तित्व को मुकम्मल बताता है।

देखिए भैया लड़की ढूंढ के अब शादी तो कर डालिए,
मयंक आज आपको वरिष्ठ युवा हॉफ सीए बताता है।

आपका भी खैरमकदम प्लेइंग इलेवन बनाने के लिए,
आपकी शादी में आकर भोजपुरी तड़का लगाना है।

फिर से आपको जन्मदिन की मुबारकबाद बड़े भैया,
आपकी खुशियों के लिए राव दुआ में हाथ उठाता है।

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YESTERDAY AT 16:50

भीड़ में रहकर अकेले हैं।

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31 JUL AT 21:46

आज कल के आशिक़ क्या जानें वो खत का ज़माना,
जब सुर्ख स्याही से उतारा जाता था दिल का फ़साना,
उस ज़माने में , तन्हाई में मुस्कुराया करते थे आशिक़,
आज आशिकों को आता है तन्हाई में ग़मो का तराना।

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30 JUL AT 15:43

अपने खूबसूरत मुल्क में दंगे देखना गवारा न होता,
अगर देश को इन भ्रष्टाचारियों का सहारा न होता।
मियां तुम्हारी ही तो देन है ये नापाख पड़ोसी मुल्क,
वरना कभी ये पाकिस्तान दुश्मन हमारा न होता।

सोचता हूं ग़र रहबरों की नीयत तभी से सुधर जाती,
तो संपूर्ण विश्व में देश की इज्ज़त का ख़सारा न होता।
नेताओं की फितरत बन गई है विपक्ष को गलियाना,
पर यार बोफोर्स न होते तो कारगिल हमारा न होता।

तुम जैसे भ्रष्टाचारियों पर तंज कसने से रुक जाता मैं,
अग़र तुम सबको नेस्तनाबूत करने का इरादा न होता।
कलम से तुम्हे देशद्रोही करार देने का मन तो था मेरा,
ग़र हमारे देश की गद्दियों पर भी राज तुम्हारा न होता।

दिखाऊं तुम्हे पानी की किल्लत से जूझती हुई बस्ती,
ये प्यासे मरते ग़र खुद की मेहनत का सहारा न होता।
एम्स के चक्कर काटते हुए मर जाता वो ग़रीब अगर,
हरिया ने कर्ज़ लेकर बेटे को डाक्टरी पढ़ाया न होता।

झोलाछाप सही वो भगवान था बस्ती वालों के लिए,
ग़र आपके बुलडोजर ने उसकी दुकां गिराया न होता।
अपने दादा जी देश से निकालने पर तुल चुके थे राव,
भगा दिए जाते बाहर अगर आधार बनवाया न होता।

हाथों में कटोरा विपक्ष के जमाने में भी आ गया था,
अगर मनमोहन 1991 में निजीकरण लाया न होता।
क्या कहूं किसको सब तो कुल की कुल्हाड़ी ही बैठे हैं,
ये देश बेच डालते गर देश ने संविधान बनाया न होता।

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30 JUL AT 10:00

जे करनी हुंदी गल किसी होर नू ते फिर तेरे नाल दिल लांदा क्यों?
जे मैं सोच रखदा किसी होर दी ता फिर मैं तेरे कोलो आंदा क्यों?
मैं ता इश्क़ और मोहब्बतां दी इक नाज़ुक डोर ते बंधा हां मेरे यारा,
तेरी मोहब्बत अल्लाह दी इनायत आ मैनू,फेर ओनू ठुकरांदा क्यों?

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28 JUL AT 20:43

इश्क़ का नशा करता हूं मैं , पर ज्यादा नहीं करता,
मेरा इश्क़ सुर्ख है तुम्हारे लिए मैं सादा नहीं करता,
कोई नहीं आयेगा तुम्हारे अलावा मेरे इस दिल में,
बस इक मौत है राव जिसका मैं वादा नहीं करता।

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28 JUL AT 12:51

उनकी आँखें तो चाहती हैं कि मैं उनका ऐतबार करूं,
उनका दिल भी चाहता है कि मैं उनका इंतज़ार करूं,
मग़र एक बात मेरे भी जहन में आ जाती है बार बार,
सुंदर चेहरे से अच्छा है किसी की यादों से प्यार करूं।

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28 JUL AT 12:25

पापा ने कहा मुझसे इक दफा बेटा न्यूज देखा करो,
भारत और विश्व के बारे में भी जानकारी देखा करो,
मैंने टीवी खोला और न्यूज सुनते ही सदमे में आया,
न्यूज़ एंकर कह रहा था दलाल कौन है? पता करो।

देखा न्यूज एंकर किसी दल की ओर से लड़ रहा था,
विपक्ष पर न्यूज एंकर का भारी दबाव पड़ रहा था,
सच्चाई से रूबरू होने बाद हंसी आई मुझे न्यूज़ पर,
न्यूज,भारत 2 घंटे में लाहौर पर कब्जा कर रहा था।

प्रजातंत्र का सर्वाधिक मजबूत स्तंभ कैसे गिर रहा है,
ये देश सच्चाई से परे तमाम परेशानियों से घिर रहा है,
अब बस भारत पाकिस्तान वाली न्यूज ही दिखती है,
ग़रीब,किसान,युवा सड़कों पर मारा मारा फिर रहा है।

शिक्षा और विकास को न्यूज एंकर शायद भूल गए हैं,
बेरोजगारी चरम पर है, न्यूज एंकर शायद भूल गए हैं,
TRP बढ़ाने के चक्कर में ये सच्चाई भी नहीं बताते हैं,
राव मुझे तो लगता है ये पैसों की सूली में झूल गए हैं।

अब न्यूज में बस हिंदू मुस्लिम जाति धर्म ही होता है,
किसानों व युवाओं के धरने से भी कहां कुछ होता है,
पहलगाम आतंकी हमले को धर्म का चोला पहनाया,
ये भारतीय मीडिया तो बस नफरत के बीज बोता है।

जो आज साहिब ए मसनद हैं एक दिन बिखर जाएंगे,
वो दिन आएगा तुम्हारे रहबर भी तुमसे बिछड़ जाएंगे,
समय रहते अपने लहज़े में थोड़ी नरमी ले आओ राव,
वरना तुम्हारे साथ खादी के वो चोर भी सुधर जाएंगे।

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28 JUL AT 6:22

तुम्हारे खूबसूरत चेहरे से छलकता हुआ ये नूर,
मुझे शायरी करने के लिए कर देता है , मजबूर,
ग़र ऐसे ही रोज संवर कर आओगी सामने राव,
तुम्हारे हुस्न की तारीफ बन जाएगा हमारा दस्तूर।

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26 JUL AT 14:23

वैसे तो लिखता रहता हूं मैं भी किसी को याद कर के,
जो नही मिला मुझे हर दुआ और हर फरियाद कर के,
ये गैर मुकम्मल इश्क़ भी कितना अजीब होता है राव,
कभी शायर बना जाता है कभी जाता है बर्बाद करके।

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