Mayank Kumar   (itsbymayank)
129 Followers · 3 Following

Joined 29 July 2017


Joined 29 July 2017
29 OCT 2022 AT 21:02

उन गलियों मे, उन छतों पे,
उन बारिशों मे,
उन शामों मे,
अब वो बस्ते नहीं,
कितनी लिख चुका हू बातें उन पर,
और वो है...... कि.. समझते नहीं ||

- मयंक

-


22 MAY 2021 AT 23:38

आंखें बंद करके हम उन्हें याद करते है
उनकी यादों मे हम खुद से बात करते है
- मयंक

-


13 MAY 2021 AT 0:03

इंसान को अपने इंसान होने का बड़ा गुरूर था
कुदरत ने एक झटके मे औकात दिखा दी.
.
.

-


30 DEC 2020 AT 22:26

सपनों की धुंध मे
मैंने तुम्हारे कदमों के निशान देखें
और उस तरफ चल पड़ा
एक उम्मीद थी कि तुम मिलो
देख मुझे तुम, लगा गले रो दो
कहा थे तुम, की शिकायत करो
मुस्कराता मैं, उस पल का मूक दर्शक बनूँ
फिर कहूँ, तुमसे मिलने की चाह थी
तो मैंने सपनों का एक किस्सा बुना
और उस किस्से मे सिर्फ एक तुम्हें चुना
तुम्हें ऐसे मिलना हुआ नहीं बरसों से
अब मिले है तो चलो चाय की चुस्की ले, चाय पीए,
और कुछ पल जो है नहीं सच उसे जिए,
सिर्फ एक बात कहूँ
जो इस सपने सी झूठ नहीं, सही है
आज भी वही हूं मैं और मेरी मोहब्बत वही है
.
- मयंक भारत भूषण लौतरिया

-


7 OCT 2020 AT 22:46

A slow walk is far better than being on a wheelchair.

-


27 SEP 2019 AT 19:33


क्यों थम गया है तू,
ज़िन्दगी मुझसे ये सवाल करती है,
रुकता है वो ही,
जिसकी एक मंजिल नहीं होती,
जो होता है काबिल उसका,
मंजिलें इंतज़ार करती है...
.
- मयंक भारत भूषण लौतरिया

-


7 JUN 2019 AT 21:26

हस कर मिलना था
अश्कों के साथ नहीं
दिलों को मिलाना था
सिर्फ हाथ नहीं
बार बार मिले और फिर
हममें तुम ऐसे घुल गए
तुमसे मिलते रहे हम और
ख़ुद से मिलना भूल गए
..
तुम्हारी खुशियों को चुना
खुद की परवाह ना कि
हस्ते रहे सहते रहे
हमने पर आह ना कि
मेरे आँसू मेरी मुस्कुराहट
साथ आते थे वो
जैसे दोस्त बन वो मिल-जुल गए
आँसू साथ लिए
हस कर तुम्हें मिलते रहे हम
और
ख़ुद से मिलना भूल गए.
..
- मयंक भारत भूषण लौतरिया

-


6 JUN 2019 AT 18:09

पता है हस कर टाल दिया करता था
उन बातों को,
क्योकि रिश्ता मुझे प्यारा था, हमारा
अब, तुम्हें कौन समझाए,
हदों की परवाह नहीं की मैंने, सिर्फ
तुम्हें प्यार किया,
उम्र, समाज, परिवार की सोचें बिना
सबसे तकरार किया,
अब, तुम्हें कौन समझाए,
कुछ चीज़ों मे उलझ सा गया था मैं
तुम्हे समझा ना पाया, और
तुमने कोशिशे की लेकिन
इंतज़ार नहीं किया,
लौटा जब समझाने तुम्हें
तो देर हो चुकी थीं,
देर कर दी शायद मैंने, मान लिया मैंने
और गलती तुम्हारी भी थी, जान लो तुम
अब, तुम्हें कौन समझाए,
साथ होते तो अच्छा होता
अब तुम्हें कौन समझाए,
तुम रूठती मैं मनाता
मनाकर, तुम्हें चिढ़ाता
छोड़ो, अब तुम्हें कौन समझाए.
.
.
.
- मयंक भारत भूषण लौतरिया

-


6 JUN 2019 AT 16:30

अज़ान-ए-इश्क़
आम रूहों को सुनाई नहीं देती.
.
- मयंक भारत भूषण लौतरिया

-


6 JUN 2019 AT 14:20

पता है हस कर टाल दिया करता था
उन बातों को,
क्योकि रिश्ता मुझे प्यारा था, हमारा
अब, तुम्हें कौन समझाए,
हदों की परवाह नहीं की मैंने, सिर्फ
तुम्हें प्यार किया,
उम्र, समाज, परिवार की सोचें बिना
सबसे तकरार किया,
अब, तुम्हें कौन समझाए,
कुछ चीज़ों मे उलझ सा गया था मैं
तुम्हे समझा ना पाया, और
तुमने कोशिशे की लेकिन
इंतज़ार नहीं किया,
लौटा जब समझाने तुम्हें
तो देर हो चुकी थीं,
देर कर दी शायद मैंने, मान लिया मैंने
और गलती तुम्हारी भी थी, जान लो तुम
अब, तुम्हें कौन समझाए,
साथ होते तो अच्छा होता
अब तुम्हें कौन समझाए,
तुम रूठती मैं मनाता
मनाकर, तुम्हें चिढ़ाता
छोड़ो, अब तुम्हें कौन समझाए.
.
- मयंक भारत भूषण लौतरिया

-


Fetching Mayank Kumar Quotes