29 AUG 2019 AT 17:50

हार गया हूं जंग ए जिंदगी,अब मौत की बाहों में झूलना चाहता हूं ।

थक गया हूं लड़ते लड़ते अपनों से और बेगानों से,अब सुकुं से सोना चाहता हूं।

महफ़िल के रंगिलियां अब आंखो को नहीं भाती,अब तन्हा रहना चाहता हूं ।

इश्क़ में अब स्वाद नहीं आती,अब बेवफाई ही चखना चाहता हूं।

हार गया हूं जंग ए जिंदगी,अब मौत की बाहों में झूलना चाहता हूं।

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